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- महामंडलेश्वर दाती मदन महाराज राजस्थानी
नारी मानव शरीर की निर्माता है। उसकी अवहेलना करना अनुचित है। नारी अपने रक्त और मांस के कण-कण से संतान का निर्माण करती है। नर और नारी मानवरूपी रथ के ऐसे दो पहिए हैं जिनके बिना यह रथ आगे नहीं बढ़ सकता। परिवार के लिए, समाज के लिए महिला की भूमिका सर्वश्रेष्ठ है, इसे कोई नकार नहीं सकता। इसलिए बेटियों को बचाना होगा तभी देश और समाज खुशहाल होगा।
यही नहीं बेटियों को बचाने के अभियान को जन-जन तक पहुंचाना होगा। लोगों को जागरूक करना होगा। आज नारी विभिन्न क्षेत्रों में अपना सकारात्मक योगदान दे रही है। वह आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार और देश का हित करने में संलग्न है। ऐसे में अगर नारी की अवहेलना होगी तो समाज और देश का अहित होगा। नारी की अवहेलना का मतलब है अपने अस्तित्व को मिटाने की साजिश रचना।
यह विडंबना ही है कि जिस देश में कभी नारी को गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदुषी महिलाओं के रूप में सम्मान प्राप्त हुआ, वहीं अब कन्या के जन्म पर परिवार और समाज में दुख व्याप जाता है। अच्छा हो मनुष्य जाति अपनी गरिमा पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाली ऐसी गतिविधि से बचें और कन्या के जन्म को अपने परिवार में देवी अवतरण के समान मानें।