Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

त्राटक और नेती क्रिया

हमें फॉलो करें त्राटक और नेती क्रिया
...शरीर को स्वस्थ्य और शुद्ध करने के लिए छ: क्रियाएँ विशेष रूप से की जाती हैं। जिन्हें षट्‍कर्म कहा जाता है। शरीरिक शुद्धि के बिना आसन-प्राणायाम का पूर्ण लाभ नहीं प्राप्त होता सकता है।

ये क्रियाएँ हैं:- 1. त्राटक 2. नेती. 3. कपाल भाती 4. धौती 5. बस्ती 6. नौली।

ND
सर्वप्रथम जानें त्राटक और नेती के बारे में:-
1. त्राटक क्रिया : जितनी देर तक आप बिना पलक गिराए एक बिंदु पर देख सकें देखते रहिए। इसके बाद आँखें बंद कर लें। कुछ समय तक इसका अभ्यास करें। आप की एकाग्रता बढ़ेगी।

त्राटक के अभ्यास से आँखों और मस्तिष्क में गरमी बढ़ती है, इसलिए इस अभ्यास के तुरंत बाद नेती क्रिया का अभ्यास करना चाहिए।

त्राटक के अभ्यास से अनेक प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है। सम्मोहन और स्तंभन क्रिया मं त्राटक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। स्थिर आँखें स्थिर चित्त का परिचायक है। आँख मन का दर्पण है। इस का नियमित अभ्यास कर मानसिक शां‍ति और निरभ्रता का आनंद लें।

2. नेती क्रिया : श्वसन संस्थान के अवयवों की सफाई के लिए इसे प्रयुक्त किया जाता है। इसे करने की तीन विधियाँ हैं:

(अ) सूत नेती: एक मोटा और कोमल धागा जो नासिका छिद्र में जा सके लीजिए। इसे पानी में भिगो लें और इसका एक छोर नासिका छिद्र में डाल कर मुँह से बाहर निकालें। इससे नाक और गले की आंतरिक सफाई होती है। आँख, दाँत और कान स्वस्थ्य बनते हैं।

इसका अभ्यास गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।

(ब) जल नेती : दोनों नासिका से पानी पीएँ। एक ग्लास पानी भर लें। झुक कर नाक को पानी में डुबाएँ और धीरे-धीरे पानी अंदर जाने दें। नाक से पानी को खींचना नहीं है। ऐसा करने से आपको कुछ परेशानी का अनुभव होगा। गले की सफाई हो जाने के बाद आप नाक से पानी पी सकते हैं। ऊपर बताए सभी लाभ इससे प्राप्त होते हैं।

(स) कपाल नेती : मुँह से पानी पी कर नाक से निकालें।

पुस्तक : आसन, प्राणायाम, मुद्रा और बंध (Yaga Exercises For Health and Happiness)
लेखक : स्वामी ज्योतिर्मयानंद
हिंदी अनुवाद : योगिरत्न डॉ. शशिभूषण मिश्र
प्रकाशक : इंटरनेशनल योग सोसायटी

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi