Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मनोरोग और शारीरिक रोग की जड़

हमें फॉलो करें मनोरोग और शारीरिक रोग की जड़
।।ॐ।।योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:।।ॐ।।
अर्थात- योग से चित्त वृत्तियों का निरोध किया जा सकता है

FILE
चित्त की वृत्तियां पांच है:- 1.प्रमाण, 2.विपर्यय, 3.विकल्प, 4.निद्रा और 5.स्मृति। कर्मों से क्लेश और क्लेशों से कर्म उत्पन्न होते हैं- क्लेश पांच प्रकार हैं- 1.अविद्या, 2.अस्मिता, 3.राग, 4.द्वेष और 5.अभिनिवेश। इसके अलावा चित्त की पांच भूमियां या अवस्थाएं होती हैं- 1.क्षिप्त, 2.मूढ़, 3.विक्षित, 4.एकाग्र और 5.निरुद्ध। यहां प्रस्तुत है चित्त की अवस्थाओं के बारे में।

1.क्षिप्त:- रजोगुण प्रधान होता है 'क्षिप्त चित्त'। जो क्षिप्त है वह बहुत ज्यादा व्यग्र, चंचल, अस्थिर और विषयोन्मुखी (भोग में लिप्त रहने वाला) रहता है। ऐसा व्यक्ति का जीवन यह सुख-दुख में तूफान से घिरी नाव की तरह होता है। ऐसा व्यक्ति बहुत जल्दी रोग और शोक से ग्रस्त हो जाता है और कभी भी अपने जीवन में संकट खड़े कर सकता है।

2.मूढ़:- मूढ़ चित्त तमोगुण प्रधान है। ऐसा व्यक्ति विवेकशून्य, प्रमादी, आलसी तथा निद्रा में पड़ा रहता है या विवेकहीन कार्यो में ही प्रवृत्त रहता है। ऐसे व्यक्ति सदा अति भोग और अति संभोग में ही रत रहता है।

3.विक्षिप्त:- विक्षिप्त का अर्थ विशेष रूप से क्षिप्त, अर्थात अधिक क्षिप्त नहीं, लेकिन क्षिप्त से उत्तम। विक्षिप्त चित्त में सत्वगुण की अधिकता होती है, लेकिन कभी-कभी रजोगुण भी जोर मारता है। आम प्रचलन भाषा में इसका अर्थ पागल से लिया जाता है किंतु यहां इसका अर्थ अलग है। विक्षिप्त अर्थात जो हमेशा भ्रम और अनिर्णय में रहे जो कभी सत्यवादी तो कभी असत्यवादी बन जाता है। सत्वगुण और रजोगुण के बीच।

4.एकाग्र:- चित्त की चौथी अवस्था में यहां रज और तम गुण दबे रहते हैं और सत्व की प्रधानता रहती है। चित्त बाहरी वृत्तियों से रहित होकर ध्येयवृत्ति पर ही स्थिर या एकाग्र रहता है। अर्थात लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहता है।

5.निरुद्ध:- इस अवस्था में वृत्तियों का कुछ काल तक निरोध हो जाता है, किंतु उसके संस्कार बने रहते हैं। निरुद्ध हो जाना अर्थात विचार और भाव के प्रति सजग रहकर निर्विचार में तटस्थ रहना। यही सही गति है।

उक्त पांच अवस्थाओं में से प्रथम तीन अवस्थाओं को समझना आवश्यक है क्योंकि यही सारे मनोरोग और शारीरिक रोग की जड़ है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi