चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन अनेक प्रकार के माने गए हैं। योग में यम और नियम के बाद आसन का तीसरा स्थान है।
आसन का उद्येश्य : आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।
आसन और व्यायाम : आसन एक वैज्ञानिक पद्धति है। आसन और अन्य तरह के व्यायामों में फर्क है। आसन जहां हमारे शरीर की प्रकृति को बनाए रखते हैं वहीं अन्य तरह के व्यायाम इसे बिगाड़ देते हैं।
'आसनानि समस्तानियावन्तों जीवजन्तव:। चतुरशीत लक्षणिशिवेनाभिहितानी च।'- अर्थात संसार के समस्त जीव जन्तुओं के बराबर ही आसनों की संख्या बताई गई है।
इस तरह हुआ आसनों का आविष्कार:- 1.पशु-पक्षी आसन : पहले प्रकार के वे आसन जो पशु-पक्षियों के उठने-बैठने, चलने-फिरने या उनकी आकृति के आधार पर बनाए गए हैं जैसे- वृश्चिक, भुंग, मयूर, शलभ, मत्स्य, गरुढ़, सिंह, बक, कुक्कुट, मकर, हंस, काक, मार्जाय आदि।
2.वस्तु आसन : दूसरी तरह के आसन जो विशेष वस्तुओं के अंतर्गत आते हैं जैसे- हल, धनुष, चक्र, वज्र, शिला, नौका आदि।
3.प्रकृति आसन : तीसरी तरह के आसन वनस्पति और वृक्षों आदि पर आधारित हैं जैसे- वृक्षासन, पद्मासन, लतासन, ताड़ासन, पर्वतासन आदि।
4.अंग आसन : चौथी तरह के आसन विशेष अंगों को पुष्ट करने वाले तथा अंगों के नाम से संबंधित होते हैं-जैसे शीर्षासन, एकपाद ग्रीवासन, हस्तपादासन, सर्वांगासन, कंधरासन, कटि चक्रासन, पादांगुष्ठासन आदि।
5.योगी आसन : पांचवीं तरह के वे आसन हैं जो किसी योगी या भगवान के नाम पर आधारित हैं- जैसे महावीरासन, ध्रुवासन, मत्स्येंद्रासन, अर्धमत्स्येंद्रासन, हनुमानासन, भैरवासन आदि।
6.अन्य आसन : इसके अलावा कुछ आसन ऐसे हैं- जैसे चंद्रासन, सूर्यनमस्कार, कल्याण आसन आदि। इन्हें अन्य आसनों के अंतर्गत रखा गया है।
आसन करने के पूर्व : सूक्ष्म व्यायाम (अंग संचालन) के बाद ही योग के आसनों को किया जाता है। योग प्रारम्भ करने के पूर्व अंग-संचालन करना आवश्यक है। इससे अंगों की जकड़न समाप्त होती है तथा आसनों के लिए शरीर तैयार होता है।
आसनों को सीखना प्रारम्भ करने से पूर्व कुछ आवश्यक सावधानियों पर ध्यान देना जरूरी है। आसन प्रभावकारी तथा लाभदायक तभी हो सकते हैं, जबकि उसको उचित रीति से किया जाए। आसनों को किसी योग्य योग चिकित्सक की देख-रेख में करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
योग के संपूर्ण आसनों की लिस्ट जानने के लिए अगले पन्ने पर पढ़ें...योग के संपूर्ण आसन...
ND
आसन के मुख्य प्रकार : 1.बैठकर किए जाने वाले आसन, 2.पीठ के बाल लेटकर किए जाने वाले आसन, 3.पेट के बाल लेटकर किए जाने वाले आसन और 4.खड़े होकर किए जाने वाले आसन।
उक्त चार प्रकार के आसनों में से कुछ आसन ऐसे हैं जिन्हें बैठकर, लेटकर और खड़े रहकर तीनों ही तरीके से किया जाता है। इनमें से कुछ आसन ऐसे भी हैं जिन्हें हाथ के पंजों के बल या पैर के घुटनों के बल पर किया जाता है।