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आर्ट ऑफ लिविंग का विश्व के 100 शहरों में योग

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, सोमवार, 15 जून 2015 (12:36 IST)
बेंगलुरु। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियों में योग के समयातीत और अखिल ग्राह्यता के गुण अपने चरम पर पंहुच गए, जब विश्‍व के लगभग 100 शहरों के लोग सूर्य के साथ उठकर अपने योग मैट्स पर ऐतिहासिक स्थान पर योग करने पहुंचे।
'सूर्य की तरह योग भी एक प्राचीन लेकिन सदा नया है। यह जीवन का श्रेष्ठ तरीका है, जो शरीर के सभी तत्वों को एक करता है और शरीर, मन और आत्मा में एक विनयपूर्ण तादात्म्य प्रदान करता है।'
 
आर्ट ऑफ लिविंग की कमलेश बारवाल, योग प्रशिक्षक एवं ग्लोबल हैड ने बताया कि 'सन नेवर सेट्‌स इन योगा' नामक इस भव्य आयोजन में 5 महाद्वीपों के लोगों ने योग के वास्तविक अर्थों को साकार किया। 
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गति के साथ लय मिलाने वाले देशों में जापान से लेकर बुडापेस्ट और सेंट पीटर्सबर्ग से लेकर लंदन तक और न्यूयॉर्क से लेकर रियो डि जेनेरियो तक के लोग अलग-अलग ऐतिहासिक स्थानों पर जैसे इस्तांबुल, बीजिंग, शंघाई, हांगकांग, टोकियो, सिडनी और ऑकलैंड सहित अन्य स्थानों पर इस कार्यक्रम के हिस्सा रहे। रशिया, म्यांमार, श्रीलंका, साउथ अफ्रीका, कनाडा, लिथुआनिया और कंबोडिया, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, टर्की और इंडोनेशिया के अनेक शहरों ने भी सूर्योदय के साथ इस प्राचीन विद्या का अभ्यास किया। 
 
भारत में आगरा के ताजमहल से लेकर आर्ट ऑफ लिविंग अंतरराष्ट्रीय केंद्र में विशालाक्षी मंडप तक इस आयोजन का हिस्सा रहे।
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'योग धर्म से अलग लेकर जाने' जैसी सोच के भय पर श्रीश्री रविशंकर (संस्थापक आर्ट ऑफ लिविंग) ने कहा कि पिज्जा या चाउमीन खाने से कोई इटालियन या चाइनीज नहीं बन जाता, उसी तरह योग करने से कोई भारतीय या हिन्दू नहीं हो जाता है। जब हम अन्य देशों के भोजन, फैशन, संगीत और तकनीक को एक प्रगतिशील सोच के साथ स्वीकार करते हैं तो भारत की प्राचीन बुद्धिमत्ता योग क्यों नहीं?
 
उन्होंने बताया कि योग आज विश्राम, प्रसन्नता और रचनात्मकता का दूसरा नाम हो गया है। विश्व इसको जीवन स्तर में सुधार का एक माध्यम मानता है।
 
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर भी रविवार, 21 जून 2015 को यूनाइटेड नेशंस पर उपस्थित रहेंगे, जहां पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस आरंभ होगा।
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श्रीश्री ने योग के लाभों के बारे विश्व को बताने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूरोपियन संसद से लेकर कैपिटॉल हिल, अमेरिका से लेकर यूनेस्को हेडक्वार्टर पेरिस तक, श्रीश्री ने पूरे विश्व की यात्रा करके योग के लाभ बताकर इसे आवश्यक और इसकी स्वीकार्यता बताई है। उनके द्वारा योग को बताने की विधि से हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों ने इसे पूरे विश्‍वास के साथ स्वीकार्य किया है।

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