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मिलन सिंह : कायम है आवाज का जादू

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मिलन सिंह आज भी उसी रुमानियत और जिंदादिली से भरपूर हैं, जैसे उन्होंने पंजाबी गीत-संगीत से सजी एलबम 'हे जमालो' में अपनी पहचान कायम की थी। जि‍सने अपनी दोहरी आवाज के कारण गायिकी में एक अलग पहचान बनाई थी।

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गायिकी में स्वर सम्राट मोहम्मद रफी को अपना आदर्श मानने वाली मिलन सिंह को पारंपरिक लोकगीत, वेस्टर्न संगीत, रीमिक्स, गल, सूफी व भक्ति गीतों में भी महारत हासिल है ही इसके अलावा हिन्दी, अरैबिक, गुजराती, भोजपुरी और पंजाबी गीतों में भी उनका कोई सानी नहीं है।

26 से अधिक सुपरहिट ऑडियो एलबम जैसे रूप एक रंग अनेक, मुझको मेरे बाद जमाना ढूँढेगा, अकेले हैं चले आओ, हे जमालो, चिट्ठी मेरे यार दी, दिल लुटिया नवा, आया तेरे दरबार और झरोखे जन्नत के एलबलों के जरिए संगीत प्रेमियों के बीच अपनी गायिकी का जादू किस तरह बिखेरा है वह किसी से छिपा नहीं है।

साढ़े तीन साल की उम्र से से अपनी गायकी का सफर शुरू करने वाली मिलन सिंह एक बार फिर संगीत प्रेमियों के बीच हाजिर हो रही हैं उसी जोश व-खरोश के साथ। और इस बार शिव भक्तों के लिए लेकर आए हैं जय शिव ओंकारा। ओंकार रुपी भगवान शिव के भजनों की पुष्प माला में कुल आठ गीत हैं।

मि‍लन के व्यक्तित्व में शालीनता नजर आती है। वह किसी भी विषय पर बेबाक टिप्पणी करती हैं। उनमें जोश है, जज्बा है और जुनून भी। वह एक बेहतरीन और अपनी तरह की पहली गायिका हैं, जिनकी आवाज में अगर नारीत्व का मखमलीपन है तो वहीं दिल को रूमानियत देने वाली नायकों की आवाज भी।

यूँ तो मिलन सिंह किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं, देश से लेकर विदेशों तक में उनकी गायकी के मुरीद हैं। लेकिन एक बेहतरीन गायक होने के साथ ही वह देश भक्त और समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी कड़ी नजर रखती हैं।

टेलीविजन पर चल रहे टैलेंट हंट शो पर मिलन सिंह कहती हैं कि एसएमएस किसी के प्रतिभावान होने का सुबूत नहीं है। ऐसे में तो कई बार टेलेंटेड आदमी पीछे रह जाता है और अगर एसएमएस के द्वारा ही प्रतिभा का चयन करना है तो कार्यक्रम में निर्णायक मंडल में बैठे लोगों का कार्य क्या है?

वह कहती हैं कि टीनेजर्स पर इतना दबाव बना दिया जाता है कि एक कार्यक्रम में न जीतने पर इनमें से कई डिप्रेशन में चले जाते हैं। ऐसे में टैलेंट हंट शो केवल रातों रात स्टारडम पाने का तरीका ही हो सकते हैं, लेकिन प्रतिभा का मानक कतई नहीं कहे जा सकते। मिलन सिंह का कहना है कि जो कामयाबी की ऊँचाई पर गया है उसे नीचे भी निश्चित आना है। अगर यह सोच कर कार्य किया जाए तो जिंदगी में कभी निराशा नहीं होगी।

अपनी आवाज और एक ही समय पर मेल और फीमेल आवाज में गीत गाने को वह भगवान का आशीर्वाद मानती हैं। उत्तर-प्रदेश के इटावा शहर की रहने वाली मिलन सिंह को कम उम्र में ही कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। जिसमें उ.प्र. सरकार द्वारा 95 में दिया गया 'यश भारती' अवार्ड भी शामिल है। इसके अलावा हेल्पफुल सिटीजन अवार्ड, प्लेटीनम जुबली अवार्ड, मौ.रफी अवार्ड आदि शामिल हैं। हिंदी, अरेबिक, बंगाली, गुजराती, भोजपुरी और पंजाबी सहित कितनी ही भाषाओं में उन्होंने गीत गाए हैं जो विदेशों तक सराहे गए हैं।

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