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रणजीत सागर की 'गागर' छलकेगी

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शाजापुर , गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012 (07:50 IST)
शाजापुर एवं राजगढ़ जिले के खेतों में सिंचाई के लिए वृहद कालीसिंध परियोजना 'रणजीत सागर बाँध' के निर्माण कार्य के पूर्व की प्रक्रियाओं ने गति पकड़ी है। डूब में आने वाले क्षेत्र के सर्वे कार्य के लिए एजेंसी तय हो गई है। परियोजना पूर्ण होने पर 171 ग्रामांें को सिंचाई के लिए नहर के माध्यम से पानी मिल सकेगा। इससे 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों की सिंचाई संभव होगी।


जल संसाधन विभाग के अनुसार वृहद कालीसिंध परियोजना की परिकल्पना 1974 में रखी गई थी। वर्ष 1984 में प्राथमिक स्तर पर इसका सर्वे कार्य किया गया था। वर्ष 2008 में सर्वे कर परियोजना के निर्माण के लिए 453.54 करोड़ रु. का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। वर्ष 2010 में यह प्रोजेक्ट बढ़कर 656 करोड़ रु. का हो गया है। केंद्रीय जल आयोग से सैद्घांतिक स्वीकृति मिलने के पश्चात बाँध निर्माण कार्य प्रक्रिया में तेजी आ गई है।


संकेतक वाले पत्थर लगेंगे

प्राप्त जानकारी के अनुसार शासन द्वारा डूब क्षेत्र के लिए सर्वे की तीन बार निविदाएँ जारी की गईं, लेकिन किसी भी एजेंसी द्वारा इस कार्य में रुचि नहीं दिखाई। चौथी बार निकाली गई निविदा के बाद लगभग 26 लाख रु. में सर्वे का यह कार्य एकता एसोसिएट्स भोपाल ने लिया है। संस्था द्वारा सर्वे कर डूब में आने वाले क्षेत्रों को चिह्नि त कर वहॉ संकेत वाले पत्थर लगाए जाएँगे। इस कार्य के पश्चात फाइनल डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।


5 ग्राम पूर्ण रूप से होंगे प्रभावित

शाजापुर जिले की सीमा से 42 किलोमीटर दूर स्थित देवास जिले के ग्राम समसखेड़ी स्थित कालीसिंध नदी पर यह बांध बनना प्रस्तावित है। परियोजना के पूर्ण हो जाने पर दोनों जिलों के 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों की सिंचाई संभव होगी। बाँध के निर्माण होने पर 5 ग्राम पूर्ण रूप से, 18 ग्राम आंशिक रूप से प्रभावित होंगे।


यह रहेगी स्थिति

बाँध की लंबाई 2 हजार 588 मीटर तथा ऊँचाई 25.22 मीटर प्रस्तावित है। इससे बाँध में 179.91 मिलियन घनमीटर पानी का भराव होगा, लेकिन जल भराव क्षमता को देखते हुए विभाग द्वारा बाँध की ऊँचाई में डेढ़ मीटर की कमी की जाना प्रस्तावित है। इससे डूब में आने वाले ग्रामों की संख्या कम होगी।


कार्य होगा

वृहद कालीसिंध परियोजना के अंतर्गत बॉध क्षेत्र में आने वाली प्रापर्टी का सर्वे एवं स्थान चिन्हित किए जाने का कार्य एकता एसोसिएट भोपाल द्वारा किया जाएगा। -डॉ. ओपी मिश्रा, कार्यपालन यंत्री, जलसंसाधन विभाग


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