Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

विचारों की संकीर्णता से अशांति

Advertiesment
हमें फॉलो करें विचार
मंदसौर , शनिवार, 17 मार्च 2012 (22:54 IST)
विचारों की संकीर्णता से देश, समाज एवं परिवार अशांति के केंद्र बनते जा रहे हैं। विचारों में व्यापकता व परिवर्तन के बगैर इसे दूर नहीं किया जा सकता है। संतों के बताए मार्ग पर चलने पर ही हम विचारों में क्रांति ला सकते हैं। यह क्रांति ही मानव जीवन में भक्ति, ज्ञान व वैराग्य का बीजारोपण कर सकती है।


यह बात राष्ट्र संतश्री कमलमुनि कमलेश ने कही। वे शनिवार को सीतामऊ में धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज के इस युग में विज्ञान ने बड़ी तरक्की की है। हमारे शरीर में खून बदलने की मशीन भी आ चुकी है। विचारों को सही दिशा सिर्फ संत ही दे सकते हैं। संत समाज, परोपकार कार्य के लिए शहर, गाँव, गली-मोहल्लों में विचरण कर धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। देश में प्रतिभाओं और साधनों को सही दिशा व दशा प्रदान करने की जरूरत है। सद्गुरु के आश्रय में हम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इससे भक्ति का बीजारोपण होता है एवं विवेक को ऊर्जा मिलती है। इन्हीं शस्त्रों के बलबूते पर महावीर स्वामी, विवेकानंद, गौतम बुद्घ जैसी महान विभूतियों ने अजर-अमर पद पाया है। अधर्मी, पापी, दुराचारी व्यक्ति और देवपुरुषों का भी यही शरीर है। अंतर सिर्फ विचारों के परिवर्तन का है।


संत अभिजीत मुनिजी ने कहा कि इस युग में धर्म की परिभाषा ही बदल गई है। काम, क्रोध, ईर्ष्या, राग, द्वेष, लोभ, मद, माया का बोलबाला है। दुर्लभ मानव शरीर में धरती पर आने को देवता तरसते हैं। हम इस जीवन को व्यर्थ गँवा रहे हैं। ऐसे लोगों को जगाने संत जन धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। गौसेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है। इससे पूर्व नगर आगमन पर नगर परिषद अध्यक्ष किशोर जैन, सकल जैन समाज अध्यक्ष सुजानमल जैन, कन्हैयालाल ओस्तवाल, भँवरलाल जैन, प्रकाशचंद्र जैन, प्रदीप जैन सहित सैकड़ों लोगों ने आगवानी की।


अहिंसा सम्मेलन आज

सकल जैन समाज अध्यक्ष सुजानमल जैन ने बताया कि 18 मार्च को इसी परिषद हॉल में अहिंसा सम्मेलन होगा। इसे संतजन संबोधित करेंगे। -निप्र


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi