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संघ के 'नानाजी' से 83 में दीक्षा मिली 'अण्णाजी' को

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लखनऊ , रविवार, 25 दिसंबर 2011 (00:51 IST)
आज अण्णा आंदोलन के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के होने की बात भले ही अण्णा समर्थकों को नागवार गुजरती हो, पर हकीकत यह है कि अण्णा हजारे संघ के बेहद सम्मानित प्रचारक और भाजपा नेता नानाजी देशमुख के काफी करीब रहे हैं। स्वयं सेवी संगठनों के एक संगठन में नानाजी देशमुख अध्यक्ष की भूमिका में थे, तो महासचिव का पद अण्णा हजारे के हाथ में था। यही नहीं, नानाजी देशमुख के ग्रामोदय प्रयोग स्थल गोंडा और चित्रकूट में भी अण्णा हजारे ने नानाजी के साथ कईं दिन गुजारे थे। यहीं से उन्होंने ग्रामीण विकास का ककहरा सीखा था।


ग्राम विकास के क्षेत्र में कार्यरत तमाम स्वैच्छिक संगठनों ने मिलकर 'ग्राम विश्व' संस्था बनाई थी। जिसके अध्यक्ष नानाजी देशमुख और मंत्री अण्णा हजारे थे। संस्था की एक महत्वपूर्ण बैठक तकरीबन 28 साल पहले 1983 में स्थानीय गांधी पार्क स्थित दीनदयाल शोध संस्थान में हुई थी। जिसमें अण्णा हजारे सहित देश भर से आए डेढ़ दर्जन सदस्यों ने भाग लिया था। बैठक में शामिल रहे नानाजी के अनन्य सहयोगी रामप्रकाश गुप्ता बताते हैं, 'उस समय लगातार तीन दिन तक बैठकों का दौर चला था। ग्राम और ग्रामीणों के विकास पर विचार मंथन हुआ था।' इस दौरान नानाजी के कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे अण्णा हजारे ने कहा था, 'शुद्ध हृदय और और पूर्ण मनोयोग से कार्य करके ही ग्रामीण भारत के विकास की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है।' गुप्ता के अनुसार अण्णा हजारे यहां तीन दिन रुके थे। गोंडा-बलरामपुर पर स्थित जयप्रभा ग्राम में वह रात्रि प्रवास करते थे। राम प्रकाश गुप्ता के साथ ही अण्णा हजारे ने जिले के प्रमुख स्थानों का भ्रमण भी किया था। उन्होंने आसपास के गांवों के जीवन स्तर और विकास के संबंध में भी जानकारी हासिल की थी। गुप्ता आज भी दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के सदस्य हैं। नानाजी भी अण्णा हजारे के खास प्रशंसक थे। उन्होंने संघ तथा अन्य संस्थाओं की बैठकों में अण्णा हजारे की खासी प्रशंसा की थी। नानाजी देशमुख की सलाह पर ही संघ की शाखाओं में अण्णा हजारे का नाम आदर के साथ लिया जाता रहा है। गोंडा ही नहीं, नानाजी देशमुख ने चित्रकूट में ग्रामोदय का जो प्रयोग शुरू किया, अण्णा हजारे वहां भी कई दिन रहे। नानाजी देशमुख ने भी अपने कार्यकर्ताओं का एक दल अण्णा हजारे के गांव रालेगण सिद्धि भेजा था।


योगेश मिश्र

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