महात्मा गाँधी के नेतृत्व में हमने जो आजादी हासिल की है, वह लंबे, अथक और अदम्य साहस व संघर्ष से हासिल की थी। आजादी के बाद गाँधी ने नेताओं से कहा था कि वे जो भी काम करें यह ध्यान रखें कि सबसे आखरी आदमी के हित में वह कितना कारगर होगा। इस बहुत ही ऊँचे मूल्य को उन्होंने अपने जीवन में साबित भी किया, लेकिन इस लोकतंत्र का यह दुर्भाग्य है कि उनके बाद इन-गिने नेताओं ने ही उनके उस मूल्य की रक्षा की। अब तो सत्ता में काबिज लोग आखरी आदमी को क्या पूरे देश को ही भूला चुके हैं।
अपने देश की जनता के दुःख दर्द को दूर करने की बजाय वे अपने ही घर को भरने की कोशिश में लगे हैं। एक गरीब देश के किसी नेता के घर सोने की कुर्सी मिलना कितना अश्लील है। कर्नाटक के पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी को अवैध खनन के मामले में गिरफ्तार किया गया है। उनके घर से सोने की कुर्सी भी मिली। 30 किलो सोना भी मिला। एक गरीब देश के फटेहाल नागरिक को आज दो जून की रोटी के लिए हाड़तोड़ मेहनत करना पड़ रही है और इस देश के सत्ताधारी सोने की कुर्सी पर विराजित हैं। वाह क्या मजाक है।