डॉ. एस.के.सिन्हा
यह संक्रामक बीमारी है, साथ ही बहुव्यापक। एक तरह का कीटाणु इस रोग में मौजूद रहता है।
लक्षण : सर्दी लगना, बुखार, सिर दर्द, पलकों का भारीपन एवं दर्द, आँख, नाक से पानी गिरना, छींक, खाँसी, देह दर्द इस रोग के लक्षण हैं।
चिकित्सा एवं पथ्य - सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े से शरीर ढँके रखना चाहिए। बुखार रहने पर गर्म पानी, गर्म दूध, सागू, पीने को देना चाहिए। फलों में बहुत थोड़ी मात्रा में अनार का रस देना चाहिए।
रोगी को पूरी तरह से आराम मिलना चाहिए। साथ ही उसे परिवार के अन्य सदस्यों से संसर्ग से बचना चाहिए। क्योंकि यह एक संक्रामक रोग है। अत: रोगी का थूक, बलगम वगैरह सावधानी से दूर फेंक देना चाहिए।
दवाएँ - होम्योपैथी दवाएँ जो लक्षणागत इन्फ्लुएंजा में काम करती हैं वे इस प्रकार हैं।
एकोनाईट 6 , 30, जेलसिमियम- 6, 30, इयुपेटोरियल पर्क 3, 6, 30, आर्सेनिक आयोड , एसियम सिया, कैलीबाईक्रोम, मरक्यूरस सौल, नेट्रम सल्फ, इन्फ्लून्जियम-30 , 200 एवं आर्सेनिक अल्ब।