पिछले तीस वर्षों से भारतीय रंगमंच को अपनी प्रस्तुतियों से समृद्ध करने वाले रतन थियम अपने नाटकीय प्रस्तुतियों के लिए देश ही नहीं, दुनिया भर में ख्यात हैं। ऐसे में भारत रंग महोत्सव की शुरुआत उनके नाटक से हो तो रंगपे्रमी इसे सोने पे सुहागा ही कहेंगे। 14वें भारत रंग महोत्सव के उद्घाटन के अवसर रतन थियम की प्रस्तुति के जादू से रंगप्रेमियों को दो-चार होने का मौका एक बार फिर मिला। कविगुरु रबींद्रनाथ टैगोर लिखित नाटक 'किंग ऑफ द डार्क चैंबर' की प्रस्तुति उनके निर्देशन में कोरस थिएटर ग्रुप, मणिपुर के कलाकारों ने की।
रतन थियम के नाटकों में युद्ध, उसकी विभीषिका और महिलाओं की स्थिति को खास तौर पर फोकस किया जाता रहा है। 'किंग ऑफ द डार्क चैंबर' नाटक में भी उन्हीं स्थितियों को बहुत ही खूबसूरती से दर्शाया गया है। नाटक को अपने विजुअल लैंग्वज में जिस खूबसूरती से पिरोया रतन थियम ने पिरोया है वह उसके शाब्दिक अनुवाद में कहीं से भी बाधक नहीं बनता। 'किंग ऑफ द डार्क चैंबर' नाटक में रतन थियम एक बार फिर अपनी रंगत में दिखे। उनके नाटकों की खासियत सिनेग्राफी रही है। रतन थियम अपने नाटकों में विजुअल इफेक्ट्स के जबर्दस्त उपयोग के लिए जाने जाते हैं। उनकी नाटक की भाषा में जितने अहम कलाकारों के संवाद होते हैं उससे अधिक अभिनेताओं की दैहिक नृत्यमूलक गतियां, पार्श्व संगीत, स्टेज पर बिखरते प्रकाशकीय रंगों का आलोक, वस्त्र योजना और स्टेज की साज-सज्जा भूमिका निभाते हैं। 'किंग ऑफ द डार्क चैंबर' नाटक में रतन थियम के नाटकों में दिखने वाली छाप अपनी रंगत में दिखी जिसे दर्शकों ने पूरे मन से सराहा।
देश इस बार गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती मना रहा है इसलिए इस बार के रंग महोत्सव का फोकस रबींद्रनाथ टैगोर पर है। इस पूरे महोत्सव के दौरान रबींद्रनाथ लिखित या उनकी रचनाओं पर उपस्थित कुल 17 प्रस्तुतियां मंचित की जाएंगी जो देश भर से चुने गए हैं। रंग महोत्सव में इस बार कुल 96 नाटक प्रस्तुत होने हैं।