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देवभाषा संस्कृत में कैरियर संभावनाएं

वेबदुनिया डेस्क

हमें फॉलो करें देवभाषा संस्कृत में कैरियर संभावनाएं
, गुरुवार, 3 मई 2012 (18:58 IST)
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देवभाषा संस्कृत भाषा को अब तक सिर्फ हिन्दू धर्म के कर्मकांडों तक सीमित थी। हिन्दू धर्म के अधिकांश ग्रंथ, पुराणों की रचना संस्कृत में होने से मान्यता यह थी कि यह कर्मकांड करने वाले पंडितों और आचार्यों की भाषा है। संस्कृत अब कर्मकांडों तक सीमित नहीं है, इसका दायरा देश-विदेश में व्यापक हुआ है।

संस्कृत भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। करियर की दृष्टि से भी संस्कृत महत्वपूर्ण भाषा साबित हो रही है। संस्कृत भाषा की पढ़ाई कर नेट परीक्षा उत्तीर्ण कॉलेजों और महाविद्यालयों में प्रोफेसर के रूप करियर बनाया जा सकता है।

संस्कृत विषय में पीएचडी कर डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा अनुवादक भी बन सकते हैं। संस्कृत भाषा के ज्ञान से शासकीय नौकरी के अवसर भी रहते हैं। संस्कृत भाषा में शिक्षा हासिल कर सेना में धर्मगुरु बनकर भी करियर बनाया जा सकता है।

संस्कृत के ज्ञान वेद, उपनिषद, पुराणों में मौजूद ज्ञान और रहस्य को समझा व प्रचारित किया जा सकता है। वर्तमान में संस्कृत को जानने वाले व्यक्तियों और विशेषज्ञों की बहुत मांग है। देश में स्थापित कई संस्कृत संस्थान प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर तक की शिक्षा संस्कृत में प्रदान करते हैं।

शासकीय संस्कृत महाविद्यालय इंदौर के डॉ. विनायक पांडेय के अनुसार संस्कृत भाषा में पूर्व मध्यमा से आचार्य तक की पढ़ाई की जा सकती है। पूर्व मध्यमा या उत्तर मध्यमा में प्रवेश के लिए शैक्षणिक योग्यता आठवीं या दसवीं रहती है।

उत्तर मध्यमा 11वीं के समकक्ष रहती है। 12वीं पास करने के बाद आप शास्त्री की पढ़ाई कर सकते हैं। पूर्व मध्यमा या उत्तर मध्यमा की परीक्षा बोर्ड के समकक्ष माने जाने वाले महर्षि पंतजलि संस्कृत संस्थान भोपाल द्वारा ली जाती है। किसी अन्य विषय में स्नातक होने पर मास्टर डिग्री संस्कृत में ली जा सकती है।

संस्कृत की शिक्षा आप इन प्रमुख संस्थानों से प्राप्त कर सकते हैं-
- संस्कृत महाविद्यालय, इंदौर (मप्र)।
- विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (मप्र)।
- महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन (मप्र)।
- गंगानाथ झा परिसर, इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश)।
- गुरुवायूर परिसर, पुरानाटुकरा, त्रिचूर (केरला)
- राजीव गांधी परिसर, श्रृंगेरी, (कनार्टक)।
- श्री सदाशिव परिसर, पुरी, (उड़ीसा)।
- जयपुर परिसर, जयपुर, (राजस्थान)
- लखनऊ परिसर, लखनऊ, (उत्तरप्रदेश)।
- गरली परिसर, गरली, (हिमाचल प्रदेश)।
- केजे सौमैया संस्कृत विद्यापीठ, मुम्बई परिसर, (मुम्बई)।

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