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ग्लोबलाइजेशन के दौर में अब विदेशी भाषा सीखना करियर के लिए बेहतर हो सकता है और फ्रैंच और रशियन भाषा के प्रति युवाओं की दिलचस्पी रही है, लेकिन अब जापानी और चीनी भाषा करियर के नए मुकाम पर पहुँचा सकती है। पर्यटन से लेकर अनुवाद में इसकी असीम संभावनाएँ हैं।

आज विदेशी भाषा में करियर बनाने के लिए मेट्रो शहरों में जितनी सुविधाएँ हैं, उतनी टीयर 2 या 3 शहरों में नहीं हैं। इसका कारण भी साफ है- कई देशों के उद्योग परिसंघ, पर्यटन कार्यालय मेट्रो शहरों में ही हैं। इस कारण उन्हें विदेशी भाषा के जानकारों की जरूरत भी ज्यादा रहती है।

आगे आने वाले दिनों में विदेशी भाषा के जानकारों की जरूरत और भी अधिक होने की पूर्ण संभावना है। विदेशी भाषा सीखने का प्रचलन धीरे-धीरे देश में काफी ज्यादा बढ़ रहा है और अब तो पर्यटन के क्षेत्र में भी विदेशी भाषा बोलने वालों की माँग काफी ज्यादा होने लगी है। फ्रैंच, रशियन जैसी भाषाएँ भारत में परंपरागत रूप से सीखी जाती हैं, पर अब चीनी और जापानी भाषा के लिए माँग आने लगी है।

विदेशी भाषा सीखने से आप अपने विश्लेषक और व्याख्यात्मक कौशलों में सुधार ला सकते हैं। ऐसे पेशेवर व्यक्ति यों, जो एक अन्य भाषा जानते हैं, को अन्य देशों में पूरे करियर के दौरान यात्रा तथा सूचना के आदान-प्रदान के आमंत्रण मिलते रहते हैं। यह उल्लेख करना व्यर्थ है कि एक भाषा से अधिक भाषाएँ सीखने से आपकी नौकरी के अवसर बढ़ जाते हैं।

आपके नियोक्ता आपको नए ग्राहकों के साथ एक सेतु के रूप में लेते हैं और आपकी सीखी हुई दूसरी भाषा का लाभ आपको मिलता है। आज देश में कई ऐसे निजी और सरकारी संस्थान हैं, जो विदेशी भाषाएँ सिखाते हैं।

विभिन्न दूतावासों से लेकर लगातार विदेश यात्रा करने वाले बिजनेसमैन आदि को विदेशी भाषा को अपनी भाषा में अनुवाद करने वाले लोगों की जरूरत लगती रहती है। आज चीन सहित कई अन्य देश अपनी भाषाओं को भारत में प्रमोट करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

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