अमेरिकी अर्थव्यवस्था को वर्ष 1930 जैसी महामंदी से बचाने के लिए राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 700 अरब डॉलर का विशाल पैकेज तैयार किया है। इस पैकेज को मंजूरी के लिए कांग्रेस के पास भेज दिया गया है। इसके पहले दुनिया के मुख्य केंद्रीय बैंकों ने अमेरिकी वित्तीय संकट से निबटने के लिए ग्लोबल मनी मार्केट में 180 अरब डॉलर डालने का फैसला किया, जिससे दुनियाभर के शेयर बाजारों में सुधार आया, लेकिन यह सुधार तभी टिक पाएगा, जब आर्थिक मोर्चे पर आने वाले दिनों में और बुरे समाचार सुनने को न मिलें। |
अमेरिका और ब्रिटेन सहित अनेक देशों में शॉर्ट सेल पर रोक लगने से अब भारत में भी इसकी संभावना बढ़ गई है। अमेरिका और ब्रिटेन के इस रोक के कदम ने मंदड़ियों में बेचैनी पैदा कर दी है। अगला सप्ताह शेयर बाजारों के लिए भारी उथल-पुथल वाला होगा |
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जॉर्ज बुश के इस जोरदार पैकेज के पहले ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपने देश की कंपनियों को दिवालिया होने से बचाने के लिए 900 अरब डॉलर झोंक चुका है। अब इसमें यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) के साथ ही केनेडा, स्विट्जरलैंड, जापान और इंग्लैंड के केंद्रीय बैंक भी आ गए हैं।
ईसीबी और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने वन-डे डॉलर फंड में 40 अरब डॉलर देने का वादा किया है, जबकि स्विस नेशनल बैंक 10 अरब डॉलर देगा। हालाँकि, जॉर्ज बुश के इस पैकेज का वहाँ अनेक कांग्रेसमैन जोरदार विरोध कर रहे हैं। दुनियाभर में चल रही इस कसरत का फायदा भारतीय शेयर बाजार को भी मिलेगा। देश के सबसे बड़े निवेशक राकेश झुनझुनुवाला का तो कहना है कि मौजूदा नरमी करेक्शन हैं और भारतीय बाजार एक बार फिर नई ऊँचाई की ओर बढ़ेंगे।
असल में तो सारी कसरत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को बचाने की है, लेकिन शेयर बाजार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर होता है इसलिए लेहमैन ब्रदर्स, मेरिल लिंच, एआईजी, मॉर्गन स्टेनले की आर्थिक बदहाली के बाद सीधे शेयर बाजारों को बचाना अब पहली प्राथमिकता हो गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपने वित्तीय सिस्टम को बुरी हालत में आने से बचाने के लिए इसमें करीब 84 हजार करोड़ रुपए झोंकने का फैसला किया है। घरेलू शेयर बाजार में अब यह माँग जोरों पर उठ रही है कि जिस शार्ट सेल और फ्यूचर एंड ऑप्शन (एफएंडओ) ने अमेरिकी शेयर बाजार का पतन किया उस पर भारत में रोक लगनी चाहिए।
अमेरिका और ब्रिटेन सहित अनेक देशों में शॉर्ट सेल पर रोक लगने से अब भारत में भी इसकी संभावना बढ़ गई है। अमेरिका और ब्रिटेन के इस रोक के कदम ने मंदड़ियों में बेचैनी पैदा कर दी है। अगला सप्ताह शेयर बाजारों के लिए भारी उथल-पुथल वाला होगा।
निवेशकों को निवेश और बचत की आदत छुड़ाकर उन्हें जुआरी बनने की ओर मोड़ने वाले टूल्स पर प्रतिबंध लगना चाहिए तभी अर्थव्यवस्थाओं को फायदा होगा। हालाँकि जो निवेशक मध्यम से लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा मौका है। भारत और अमेरिका के बीच होने वाले परमाणु करार पर अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी अगले सप्ताह मिलने की उम्मीद है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स 22 सितंबर से शुरू हो रहे नए सप्ताह में 14463 अंक के ऊपर बंद होने पर 14744 अंक तक जा सकता है। इसका सपोर्ट स्तर 13444 पर देखने को मिलेगा। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 4373 अंक के ऊपर बंद होने पर 4459 अंक तक जा सकता है। इसका सपोर्ट स्तर 4077 पर है।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि 22 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में बीएसई सेंसेक्स का रेसीसटेंस 15107-15130-15579 है। इन स्तरों पर सेंसेक्स के आने पर बिकवाली कर बाजार से बाहर निकल जाएँ। साप्ताहिक सपोर्ट 13565, 13034, 12558-12518 और 12316 पर देखने को मिलेगा। अगले सप्ताह सेंसेक्स ऊपर की ओर 14686-15579 और नीचे की तरफ 12822-12515-12316 रेंज में देखने को मिलेगा।
इस सप्ताह निवेशक ओमनिटेक इंफोसॉल्यूशंस, मदरसन सुमी, आरपीजी केबल्स, गेल, आईवीआरसीएल इन्फ्रा, पटेल इंजीनियरिंग और यस बैंक पर ध्यान दे सकते हैं। इसके अलावा हैवीवेट्स में हर उतार-चढ़ाव का सावधानी के साथ फायदा उठा सकते हैं।
इस सप्ताह ऑप्टो सर्किट, बीईएमएल, फैम केयर फार्मा, जेटकिंग इन्फो, मास्टेक, प्रॉक्टर एंड गेम्बल, सुभाष प्रोजेक्ट, एरो ग्रेनाइट, ब्लीसजीवीएस फार्मा, एमएम फोर्जिंग, सनवार एग्रो, ग्लोस्टर जूट और जॉली बोर्ड्स एक्स बोनस होंगे।
*यह लेखक की निजी राय है। किसी भी प्रकार की जोखिम की जवाबदारी वेबदुनिया की नहीं होगी।