टीम अण्णा मुश्किल दौर से गुजर रही है। उनके लिए मुश्किल इसलिए है कि रामलीला मैदान पर लाखों लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ इकट्ठा हुए थे। इसमें युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। पूरा देश एक बड़ी और उजली उम्मीद के साथ वहाँ मौजूद था। यह किसी भी सत्ता के लिए खतरे की घंटी था, लेकिन उसके बाद से ही टीम अण्णा पर एक के बाद एक संकट आने लगे हैं। अण्णा हजारे को मौनव्रत धारण करना पड़ा। स्पष्टीकरण देने पड़े कि अण्णा टीम एक है और कोई फूट नहीं है।
फिर केजरीवाल पर चप्पलें फेंकी गईं, किरण बेदी आरोपों के घेरे में हैं। जाहिर है यह टीम अण्णा को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा है। इसलिए टीम अण्णा को बहुत साफ-सुथरे ढंग से और पारदर्शिता रखते हुए उस उम्मीद को बनाए रखना होगा, जो पूरे देश ने उनसे लगा रखी हैं।