हमारा जन-गण-मन सौ साल को हो गया। किसी भी देश के लिए यह गर्व की बात है। किस भारतीय को इस पर गर्व नहीं होगा। सीना गर्व से फूलता है। माथा ऊँचा हो जाता है। मन में देश प्रेम की हिलोरें उठने लगती हैं। आँखों में चमक पैदा होती है। इस देश के लिए सब कुछ कुर्बान कर देने का मन करता है।
न्योछावर कर देने का मन करता है। इन सौ सालों में इस गान के प्रति वही प्रेम और जज्बा बरकरार है। इन सौ सालों में देश ने तरक्की की जो चमकीली इबारत लिखी है, उसमें युवाओं की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। इसीलिए इस गान में जो जन है, जो गण है वह युवा है और उसका मन कहता है कि अब दुनिया की कोई ताकत उसे आगे बढ़ते हुए रोक नहीं सकती। जब हम इसे गाते हैं तो एक महान देश के नागरिक होने का गहरा भान होता है।