26 /11 का आतंक: पीड़ितों की जुबाँ से
मुंबई आतंकी हमले में आतंकवादी पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते मुंबई पहुँचे और गेटवे ऑफ इंडिया के पास कहीं तट पर उतरे। इसके बाद आसपास के इलाकों में फैल कर ताजमहल होटल, ओबेरॉय होटल, लियोपोल्ड कैफे, वीटी स्टेशन आदि स्थानों पर आतंक का तांडव मचाना शुरू कर दिया था। इस हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों में आज भी दहशत कायम है। उनकी आँखें आज भी उन अपनों के लिए बरसती है जो बिना किसी दोष के मुंबई हमलों का शिकार हो गए। वे जिनके आँसू नहीं थम रहे ब्यूटी पार्लर संचालिका अनामिका गुप्ता : पिछले साल 26 नवंबर को हुए मुंबई आतंकी हमले की एक प्रत्यक्षदर्शी कोलाबा की पार्लर संचालिका अनामिका गुप्ता जो खुद भी उस हमले में गंभीर रूप से घायल हुई थीं। उन्होंने लेमन टीवी पर आने वाले कार्यक्रम आरकेबी शो में दावा किया कि उन्होंने आतंकी हमले के मामले में पकडे गए एकमात्र जीवित आतंकी अजमल कसाब को हमले के दो दिन पहले यानी 24 नवंबर को ताज होटल के पास देखा था। कसाब के साथ दूसरा आदमी जो थोड़ा गंजा था। वे नरीमन हाउस के आसपास ही रह रहे थे। अनामिका के मुताबिक उन्होंने यह बात पुलिस को भी बताई थी कि ये आतंकवादी हमले से पहले उस इलाके में रह रहे थे.. लेकिन उन्हें हिदायत दी गई कि इस बारे में कुछ न बोले। ज्ञात हो कि इस हमले के दौरान लियोपोल्ड कैफे में हुई गोलीबारी के दौरान अनामिका के पेट में चार गोलियाँ लगी थीं। ताज होटल के बाथरूम में फँस गई थी सबीना : टाइम्स ऑफ इंडिया की सलाहकार संपादक सबीना भी उस रात को एक विवाह समारोह में हिस्सा लेने के लिए होटल ताज पहुँचीं थीं। इस हमले के दौरान वे होटल के के छठवीं मंजिल पर स्थित बाथरूम में फँसी रही जिसका खुलासा उन्होंने अपने अंतिम एसएमएस में किया था। इस दौरान पत्रकार सबीना सहगल साइकिया की मौत हो गई थी। राजीव सारस्वत : उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद के मूल निवासी 50 वर्षीय कवि एवं हिंदीसेवी राजीव सारस्वत, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि.(एचपीसीएल) में प्रबंधक (राजभाषा) के पद पर कार्यरत थे। जिस समय मुंबई के पाँच सितारा होटल ताज पर आतंकी हमला हुआ तब वे इस होटल में अपने अधिकारियों के साथ राजभाषा कार्यान्वयन से जुड़ी संसदीय समिति की बैठक में भाग लेने होटल में आए हुए थे। इस हमले ने राजीव सारस्वत की मुस्कुराती जिंदगी को मौत में तब्दील कर दिया।
स्वर्गीय गौरव जैन : पिछले साल 26 नवंबर को हुए मुंबई आतंकवादी हमले में इंदौर के मनोरमागंज निवासी गौरव जैन की मृत्यु हो गई थी। उनकी माँ निढाल शरीर और सूनी पथरीली आँखों से, पिछले एक साल से अपने लाल की एक झलक पाने के लिए अपलक रास्ता ताँक रही हैं। कांता जैन को उम्र के सातवें दशक में आतंकवादियों ने जो जख्म दिए हैं उनका इलाज उनके लिए इस जन्म में तो संभव नहीं है। गौरव की मौत का सदमा पिता बालचंद्र जैन को ऐसा लगा कि बेटे की मौत के बाद इसी वर्ष अप्रैल में मौत लील गई। गौरव की माता बताती हैं कि गौरव की शहादत के बाद प्रशासन ने कोई मदद नहीं की। कलेक्टर ने जरूर एक बार आकर मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन यह आश्वासन भी थोथा ही साबित हुआ। स्थिति इतनी विकट हो गई है कि इस माँ को अपने जीवनयापन तक में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गोपाल कृष्णन : भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत गोपाल कृष्णन की पिछले साल मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में मौत हो गई थी। आतंकी हमले में अपने पति की मौत से उनकी पत्नी इस हद तक आहत हैं कि उन्होंने कहा कि सरकार कुछ करे ना करे हमारा व्यक्तिगत नुकसान तो हो चुका है। अब हम इस बारे में कुछ भी बात करें कोई फायदा नहीं। गौरव के साथ ही इंदौर के गोपाल कृष्णन भी मुंबई हादसे में मारे गए थे।