वरुण कपूर की पहचान मध्यप्रदेश के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के रूप में है। इससे इतर भी उनकी एक और पहचान है साइबर एक्सपर्ट की, जो उन्हें देश और दुनिया में लोकप्रिय बनाती है। कपूर साइबर अपराधों को लेकर विद्यार्थियों को जागरूक करने का कार्य लगातार कर रहे हैं, वहीं पुलिस और सुरक्षाबलों के कर्मियों को भी साइबर क्राइम से निपटने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में जब वेबदुनिया ने मध्यप्रदेश पुलिस के ADGP वरुण कपूर से 75 वर्षों में पुलिस की कार्यप्रणाली में आए बदलाव और चुनौतियों की के संबंध में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पुलिस ऐसी सेवा है, जो लोगों के जीवन के हर पहलू को छूती है। समाज को अपनी सरकार से सबसे बड़ी जो अपेक्षा होती है वह जान-माल की सुरक्षा है। यह सुरक्षा लोगों को पुलिस से ही मिलती है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से पुलिस से लोगों की अपेक्षाएं कुछ ज्यादा ही होती हैं। लोग चाहते हैं कि पुलिस कार्य बहुत अच्छा होना चाहिए। वे पुलिस के काम से किसी भी तरह समझौता नहीं चाहते।
पुलिस के काम में आया बदलाव : कपूर कहते हैं कि समय के साथ पुलिस के काम में भी काफी बदलाव आया है। पुलिस के पास पहले संसाधन सीमित होते थे, लेकिन तुलनात्मक रूप से अब उनमें वृद्धि हुई है। तकनीकी रूप से भी पुलिस काफी मजबूत हुई है। पुलिस बल के साथ थानों की संख्या भी बढ़ी है। हालांकि जनसंख्या के अनुपात में पुलिसकर्मियों की संख्या अब भी कम है। यदि मध्यप्रदेश की बात करें तो ट्रेनिंग सेंटरों में काफी सुधार हुआ है।
अलग दुनिया का क्राइम : कपूर कहते हैं कि पिछले कुछ समय में साइबर क्राइम बड़ी तेजी से उभरा है। यह न सिर्फ समाज बल्कि पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। यह एक अलग दुनिया का क्राइम है। डिवाइस आधारित इस अपराध को कहीं भी बैठकर अंजाम दिया जा सकता है। बहुत सारे लोगों पर एक साथ अटैक किया जा सकता है। ऐसे में इस तरह के अपराध आने वाले समय के लिए बड़ी चुनौती होंगे।
आईपीएस कपूर कहते हैं कि आमतौर पर तीन तरह के साइबर क्राइम होते हैं। एक साइबर वारफेयर, जो कि एक देश दूसरे देश पर करता है, जबकि कॉर्पोरेट साइबर क्राइम में विभिन्न कंपनियों, बैंकों आदि का डाटा चोरी, हैकिंग आदि शामिल है। सिटीजन साइबर क्राइम आम आदमी से जुड़े होते हैं। इस तरह के मामलों में पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होती है। क्योंकि लोगों की सुरक्षा पुलिस की जिम्मेदारी होती है।
आधा समय वचुअल वर्ल्ड में : एनसीआरबी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए वरुण कपूर कहते हैं कि वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 में साइबर क्राइम के मामलों में 84 फीसदी का इजाफा हुआ था। यदि चोरी जैसे अपराधों में इस स्तर तक वृद्धि हो जाए तो लोगों का शहर में रहना मुश्किल हो जाए। साइबर क्राइम आने वाले समय में और बड़ी चुनौती हो जाएगा। अपनी ही एक स्टडी का का हवाला देते हुए कपूर कहते हैं कि 4 साल पहले कॉलेज स्टूडेंट 29.8 फीसदी समय वर्चुअल दुनिया में बिता रहे थे। वर्तमान में यह आंकड़ा 50 फीसदी से भी ज्यादा हो सकता है। अर्थात आधा समय वचुअल वर्ल्ड में बिताया जा रहा है। अभी इसके बारे में कुछ न किया गया तो यह बहुत बड़ा खतरा बन जाएगा।
वर्ल्ड रिकॉर्ड : कपूर विभिन्न कार्यशालाओं के माध्यम से विद्यार्थियों और समाज को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को भी वे प्रशिक्षित कर रहे हैं ताकि साइबर क्राइम से जुड़े मामलों से निपटा जा सके। वे कहते हैं कि कोरोना काल में उन्होंने 175 वेबिनार कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। वे दुबई, जापान आदि देशों के लिए भी वेबिनार कर कर चुके हैं।
भविष्य की चुनौतियां : कपूर कहते हैं कि साइबर क्राइम से निपटने का कोई तरीका नहीं है। व्यक्ति खुद की सतर्कता से ही इससे बच सकता है। इस तरह से अपराधों से निपटने के लिए बहुत सुधार की आवश्यकता है। कुछ समय पहले पुलिस अधिकारियों को भी नहीं पता होता था कि साइबर क्राइम क्या होता है, लेकिन समय के साथ चीजें बदली हैं। युवा अधिकारियों में इच्छा है, वे काम करना चाहते हैं। अब मध्यप्रदेश पुलिस की साइबर सेल के पास आधुनिक उपकरण भी हैं। इस सबके बावजूद अपराध को घटित होने से पहले रोकना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।