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आजादी के 75 वर्ष : देश ने झेला बंटवारे का दंश

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कमलेश सेन

करीब 300 से भी अधिक साल की ब्रिटिश हुकूमत से भारत ने 1947 में आजादी हासिल की थी। देश वर्ष 2022 में आजादी के 75 वर्ष पूर्ण कर हीरक जयंती (डायमंड जुबली) मना रहा है। भारत को आजादी कोई सरलता से हासिल नहीं हुई थी। उसके लिए देश के कई लोगों ने अपना त्याग और बलिदान दिया था। 1946 से 1956 तक 1 दशक में देश ने कई उथल-पुथल को देखा है।
 
इस दशक में देश ने आजादी हासिल की तो विभाजन का भी सामना किया। उससे गंभीर बात यह रही कि देश विभाजन के बाद नागरिकों के एक देश से दूसरे में जाने आने के बाद फैली हिंसा ने बहुत ही गंभीर दर्द दिया।
 
पिछली बातों को याद करना दु:खद होता है। उन्हें दोहराने से हमें इतिहास से सबक मिलता है। पिछले बीते कल को याद करना बेहद जरूरी होता है ताकि हम अतीत के पन्नों में झांक सकें और बीती बातों को याद कर सकें।
 
आजादी के 1 दशक को सिलसिलेवार जानने का प्रयास करते हैं कि देश में क्या ऐसा कुछ हुआ?
 
मुस्लिम लीग की स्थापना और मोहम्मद अली जिन्ना की अलग राष्ट्र की मांग से आखिर लॉर्ड माउंटबेटन योजना के तहत हिंदुस्तान का विभाजन तय हुआ। लॉर्ड माउंटबेटन को दोनों देशों की अलग-अलग रस्में निभाना थीं इसलिए 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त 1947 को भारत को नए राष्ट्र के रूप में स्वतंत्रता प्रदान की गई। इन्हीं पृथक तारीखों को पाकिस्तान और भारत अपना आजादी दिवस मनाते हैं।
 
भारत में पं. जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। 2 देशों के निर्माण में लोगों का इधर से उधर पलायन और हिंसा ने मानवीयता को नष्ट कर दिया। शरणार्थी के रूप में हुए पलायन में इंसनियत की क्रूर दास्तां आज भी बड़ी दुःखदायी है। पलायन के साथ सांप्रदायिक हिंसा और आवागमन रेल हो या बैलगाड़ी सभी में बैठ लोगों ने अपने-अपने ठिकाने के रास्ते तय किए। लाखों लोग मारे गए और करोड़ों का पलायन हुआ। बच्चे और महिलाएं सर्वाधिक प्रभावित रहे। देश की सीमा पर कत्लेआम हुआ। सरदार पटेल ने देसी रियासतों को देश में शामिल करने में महती भूमिका निभाई।
 
वर्ष 1948 में देश विभाजन के दु:खों को झेलता आगे बढ़ने और संघीय ढांचे को स्थापित करने में लग गया। लंदन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम, जिसका नेतृत्व किसनलाल कर रहे थे, में भारत ने ब्रिटिश टीम को हराकर हॉकी में गोल्ड मेडल जीता था। इस तरह भारत ने खेलों में सोना पाकर के नए युग का श्रीगणेश किया था। आजादी के बाद का दूसरा साल देश के लिए काफी दु:खदायी रहा। महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में जाते समय संध्या को 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या के 8 आरोपी तय हुए थे। कुछ बरी हो गए, किसी को आजीवन कारावास की सजा हुई और नाथूराम गोडसे एवं नारायण आप्टे को फांसी दी गई।
 
गांधीजी की हत्या से देश को एकदम धक्का लगा। राजनीतिक अस्थिरता का भय पुन: निर्मित हो गया, पर देश इस विपत्ति से बड़ी मुश्किल से संभला। चूंकि महात्मा गांधी के प्रति देश में काफी आदर था, परंतु देश विभाजन और गांधीजी की नीतियों से कुछ वर्ग नाराज था। देश पुन: नेहरूजी और अन्य नेताओं के नेतृत्व में आगे बढ़ने और नई नीतियों के साथ उन्नति की ओर कदम बढ़ाने का प्रयास करने लगा।
 
वर्ष 1949 में देश अपनी आंतरिक समस्याओं को हल करने में व्यस्त रहा। देश के लिए नीतिगत ढांचे के निर्माण की ओर ध्यान देने में शीर्ष नेतृत्व लगा रहा। वर्ष 1950 देश के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा। किसी भी देश के अपने कायदे और कानून होते हैं। अभी तक देश अंग्रेजी व्यवस्था पर चल रहा था।
 
देश ने अपने संविधान का निर्णय लिया और करीब 2 साल 11 माह 17 दिन में डॉ. भीमराव आंबेडकर, जो संविधान समिति के अध्यक्ष थे, के निर्देशन में यह तैयार हुआ। 26 जनवरी 1950 को देश में अपना संविधान लागू हुआ। संविधान नवंबर 1949 में तैयार हो गया था, परंतु इसे लागू 1950 में किया गया था। साल के अंत में यानी 15 दिसंबर 1950 को देश के लौहपुरुष और गृहमंत्री सरदार पटेल का हृदयाघात से निधन हो गया। इस तरह देश ने एक और नेता को खो दिया।
 
1951 में देश के नियोजित विकास और उन्नति के लिए पं. जवाहरलाल नेहरू ने लोकसभा में पंचवर्षीय योजना को प्रस्तुत किया। पहली योजना 1951-56 की थी। देश के प्राथमिक क्षेत्र में विकास पर इस योजना में जोर दिया गया था। अक्टूबर 1951 में जनसंघ का गठन किया गया, जो आज बदले रूप में भारतीय जनता पार्टी के रूप में देश की बागडोर संभाल रहा है।
 
इसी साल मार्च 1951 में पहले एशियाड का दिल्ली में आयोजन हुआ जिसका शुभारंभ देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था। इन खेलों में 11 देशों ने भाग लिया था। भारत ने इन खेलों में 51 पदक प्राप्त कर दूसरा स्थान प्राप्त किया था। पहला स्थान जापान को मिला था। किसी भी देश में उसका विकास तकनीकी संस्थानों पर निर्भर रहता है। इस क्षेत्र में देश ने कदम बढ़ाया और बंगाल में उच्च स्तर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर की स्थापना की गई।
 
वर्ष 1952 में देश ने जनतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार चुनने की ओर कदम बढ़ाया और देश में पहले आम चुनाव का श्रीगणेश हुआ था। जनता अपनी पसंद की सरकार मतदान से चुन सके, यह प्रक्रिया अपनाकर भारत ने विश्व के समक्ष के मिसाल पेश की थी। देश के पहले चुनाव के प्रति लोगों में काफी उत्सुकता थी और जनमानस के लिए एक अजूबा था। पहले चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला था।
 
भारत ने विश्व परिदृश्य में अपनी पहचान बनाने के प्रयास आरंभ कर दिए थे। विदेश नीति का नक्शा  तैयार था। इस सिलसिले में वर्ष 1953 में श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली विश्व की पहली महिला बनीं, जो देश के लिए गौरव की बात थी।
 
वर्ष 1954 से देश में नागरिकों को उनसे योगदान के लिए विशेष सम्मान देने की परंपरा आरंभ की गई। पद्मविभूषण, पद्मभूषण, पद्मश्री और भारतरत्न विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत और उनकी सेवाओं के सम्मान में दिए जाने वाले ये देश के शीर्ष सम्मान हैं। भारत एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रधान देश है और यहां की धार्मिक विविधता एक मायने से हमारी संस्कृति का हिस्सा है। देश में 4 धार्मिक स्थानों पर आयोजित होने वाले बड़े धार्मिक कुंभ मेले के आयोजन में एक स्थान इलाहाबाद भी है।
 
वर्ष 1955 में देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक, व्यावसयिक बैंक इम्पीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर इसका नाम स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कर दिया गया। उस समय देश के वित्तमंत्री चिंतामणराव देशमुख थे। देश की आर्थिक प्रगति में बैंकिंग क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इन बातों को ध्यान में रख यह कदम तत्कालीन सरकार ने उठाया था।
 
1956 में आजादी के 1 दशक हो चुके थे। देश काफी हद तक आर्थिक विकास के साथ अग्रसर था। देश के राज्यों की सीमाओं और बातों की असमानता थी। इसलिए फजल अली के नेतृत्व में गठित आयोग की सिफारिशें लागू की गईं। उसके तहत राज्यों की सीमाओं का पुनर्गठन किया गया था। इसी के तहत 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया था। 
 
संविधान निर्माता प्रमुख डॉ. भीमराव आंबेडकर का दिसंबर 1956 में निधन हुआ था। आपकी जन्मस्थली मध्यप्रदेश के महू (इंदौर) में है। देश सभी क्षेत्रों में उन्नति की ओर अग्रसर था। ऐसे दौर में देश परमाणु ऊर्जा और उससे जुड़े क्षेत्रों की ओर अपने कदम बढ़ा रहा था। न्यूक्लीयर रिएक्टर 'अप्सरा' की संचालन प्रक्रिया 5 अगस्त 1956 में मुंबई स्थित भाभा रिसर्च सेंटर के ट्रॉम्बे परिसर में आरंभ हुई थी।

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