Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

84 महादेव : श्री उत्तरेश्वर महादेव(44)

हमें फॉलो करें 84 महादेव : श्री उत्तरेश्वर महादेव(44)
पहले इंद्र राजा के मेघों को वृष्टि करने के आदेश से नियमानुसार वर्षा होती थी। कुछ समय तक मेघों ने अपनी इच्छानुसार वर्षा करना शुरू कर दिया जिससे पृथ्वी जलमग्न होने लगी। यज्ञ और हवन तक बंद हो गए जिसको देखकर ऋषि मुनि भयभीत होने लगे। इसकी शिकायत ऋषि मुनियों एवं देवगुरु ने ब्रह्मा से की। ऋषियों की परेशानी को सुनकर देवगुरु ने इंद्र को बुलाया। इंद्र ने देवगुरु से  पूछा, महाप्रभु मेरे लिए क्या आदेश है। देवगुरु ने पृथ्वी के जलमग्न होने की घटना देवेन्द्र को बताई।




इस पर देवेन्द्र ने मेघों के राजा को बुलाया-समझाया। कुछ दिनों तक मेघ नियमानुसार बरसने लगे फिर बीच में अचानक प्रलयनुमा वर्षा करने लगे। जिससे पृथ्वी पर हाहाकार मच गया। यह देखकर देवेन्द्र भगवान शिव की शरण में गए। मेघो के इस व्यवहार की बात बताई। भगवान शिव ने उत्तर के मेघों को बुलाया जिसके पास एक करोड़ मेघ थे। मेघ ने शिव से आज्ञा मांगी। भगवान ने कहा तुम महाकाल वन में भगवान गंगेश्वर की आराधना करो जिससे तुम्हारा क्रोध कम होगा ओर तुम्हें अधिक वर्षा करने की आवश्यकता भी नहीं होगी। आराधना करने से  शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए तथा मेघ को वरदान दिया कि पृथ्वी पर उत्तरेश्वर नाम से प्रसिद्धि होगी और महाकाल वन में स्थित लिंग उत्तरेश्वर के नाम से विख्यात होगा।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi