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बच्चों को मिली पिटाई से मुक्ति

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वर्ष 2007 बच्चों के अधिकारों को लेकर सरकारी और गैर सरकारी तंत्र की सजगता के लिए याद किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस साल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना की।

आयोग ने वजूद में आते ही स्कूली मास्टरों के हाथ से छड़ी छीनने के दिशा निर्देश देश भर में जारी किए। नवगठित बाल अधिकार संरक्षण आयोग की कमान मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता शांता सिन्हा को सौंपी गई है।

आयोग ने अपने पहले महत्वपूर्ण दिशानिर्देश में देश में बच्चों को शारीरिक सजा देने पर पाबंदी लगा दी। अब बच्चों को छड़ी से पीटने वाले अध्यापकों पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

शांता सिन्हा ने बताया अध्यापक को स्कूल में बच्चे को शारीरिक दंड देने का अधिकार नहीं है। बच्चों को समझा-बुझाकर पढ़ाया जाना चाहिए। मारपीट की मध्ययुगीन सोच के लिए सभ्य समाज में स्थान नहीं हैं।

आयोग की सदस्य संध्या बजाज ने बताया बाल मजदूरी, बाल तस्करी और स्कूलों में बच्चों का उत्पीड़न रोकना स्थापना वर्ष में आयोग की शीर्ष प्राथमिकताएँ रहीं।

वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने निठारी कांड की पृष्ठभूमि में बाल तस्करी रोकने के लिए व्यापक दिशा निर्देश जारी किए। ढाबों, होटलों आदि पर 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम कराने का कानून पिछले साल पारित हो गया था, लेकिन इस साल इस अधिकार ने आंदोलन का रूप ले लिया।

सरकार ने कानून बनाने में जितनी मुस्तैदी दिखाई बच्चों को मुक्त कराने में वैसी तेजी देखने को नहीं मिली। सरकार के पास देश भर में बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराए गए बच्चों के आँकड़े नहीं है।

संसद के शीतकालीन सत्र में विभिन्न उद्योगों से जुड़े इस तरह के सवालों के जवाब में सरकार ने बाल मजदूरों के आँकड़े नहीं होने की बात स्वीकार की।

वर्ष 2007 में बच्चों पर जुल्म की निठारी कांड जैसी नृशंस वारदात तो नहीं हुई, लेकिन गुजरात के एक स्कूल में बच्चे को दौड़कर स्कूल का चक्कर लगाने की सजा दी गई जिससे उसकी मौत ही हो गई। राजस्थान में भी एक बच्चे की शिक्षिका की पिटाई से मौत हुई।

देश के अन्य भागों से भी स्कूल में बच्चों को पीटने करंट लगाने एचआईवी पीड़ित बच्चों से भेदभाव की खबरें आती रहीं। निठारी कांड की जाँच के लिए मानवाधिकार आयोग के सदस्य पीसी शर्मा के नेतृत्व में गठित समिति ने बच्चों की तस्करी और बच्चों पर होने वाली हिंसा रोकने के लिए व्यापक सिफारिशें की गई।

इसके तहत सभी राज्यों से गुम होने वाले बच्चों के आँकड़े एकत्र करने, गुमशुदगी के मामले में अनिवार्य रूप से रिपोर्ट लिखने और इसके संबंध में आयोग को सूचित करने के निर्देश दिए गए। मानवाधिकार आयोग ने कहा कि भारत से गुम होने वाले बच्चे अरब देशो में ऊँट की दौड़ और बाल वेश्यावृत्ति में धकेले जा रहे हैं।

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