Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

2009 : म्युचुअल फंड के लिए कष्टप्रद

गिरते बाजार से निवेशक हुए निराश

हमें फॉलो करें 2009 : म्युचुअल फंड के लिए कष्टप्रद
नृपेन्द्र गुप्ता
ND
वर्ष 2009 म्युचुअल फंड के लिए बुरे सपने की तरह रहा। आर्थिक मंदी से बेहाल भारत में निवेशक सालभर चैन की साँस लेने के लिए तरसते रहे। 21 हजारी सेंसेक्स आठ हजार पर आ गया तो सोना भी आम आदमी की पहुँच से दूर हो गया। विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहनसिंह और चिदंबरम की सरकार में उपस्थिति भी निवेशकों के विश्वास को लौटाने में विफल रही। बाजार तो संभलकर फिर 17 हजारी हो गया, मगर कई लुटे-पिटे निवेशकों ने बाजार से तौबा कर ली।

शेयर बाजार की इस हालत का असर म्युचुअल फंडों पर भी पड़ा। जैसे-जैसे बाजार गिरने लगा, फंड्स की एनएवी भी गिरने लगी और म्युचुअल फंडों को निवेश का सुरक्षित जरिया मानने वाले छोटे निवेशकों का दम फूलने लगा। एसआईपी के माध्यम से आने वाले निवेश में भारी गिरावट आई और भारी मात्रा में निवेशकों ने घाटा खाकर अपना पैसा बाजार से निकाल लिया। फंड्स में एकमुश्त पैसा लगाने वाले निवेशक भी बुरी तरह निराश हो गए।

webdunia
ND
फंड्स मैनेजर निवेशकों को बार-बार यह समझाने का प्रयास करते रहे कि बाजार की स्थिति फिर सुधरेगी और 2010 तक वे घाटे से उबर जाएँगे। मगर गिरते बाजार से निवेशकों का विश्वास पूरी तरह डगमगा गया। म्युचुअल फंड में एक मुश्त और एसआईपी दोनों के ‍जरिये होने वाले निवेश में भारी कमी आई।

बाजार तो धीरे-धीरे रफ्तार पकड़कर 17 हजार तक आ गया। मगर निवेशकों का फंड्स से पैसे निकालने का सिलसिला नहीं थमा। अगस्त से लेकर नवंबर तक इक्विटी म्युचुअल फंड्स में से नेट आउटफ्लो 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है। शेयर बाजार में तेजी होने पर आम तौर पर लोग इक्विटी म्युचुअल फंड में पैसा लगाते हैं। क्योंकि जैसे-जैसे बाजार बढ़ेगा, उनके फंड की वैल्यू भी बढ़ती जाएगी। लेकिन पिछली बार, बाजार की तेजी में हाथ जला चुके लोग इस बार अपना मुनाफा घर ले जाना चाहते हैं।

फंड हाउसों ने इस साल जुलाई से सितंबर की तिमाही में 27 नए फंड बाजार में पेश किए हैं, लेकिन इन फंडों के जरिये वे 5836 करोड़ रुपए की रकम ही जुटा पाए। इनमें भी 1709 करोड़ रुपए इनकम स्कीम्स और 3302 करोड़ रुपए इक्विटी स्कीम्स के जरिए प्राप्त हुए।

हालाँकि कुछ निवेशकों ने बुरे समय में फंड हाउसों का साथ नहीं छोड़ा और उन्हें इसका बेहतर प्रतिसाद भी मिला। एसआईपी के जरिये निवेश करने वालों इन लोगों ने जब कम एनएवी पर यूनिट्स खरीदीं तो उन्हें बाजार बढ़ने पर भारी फायदा हुआ और इन यूनिट्स ने ही उनके म्युचुअल फंड के विश्वास को बढ़ाकर दोगुना कर दिया।

webdunia
ND
म्युचुअल फंड्स पर इस वर्ष सेबी की कड़ी नजर रही। यह वर्ष निवेशकों को निवेश पर इंट्री लोड से भी निजात दिला गया। निवेश प्रक्रिया का सरलीकरण होने का लाभ भी इस उद्योग को नहीं मिल पाया। उल्टा एजेंट्स का कमीशन कम होने से उनका रुझान भ‍ी फंडों से कम हुआ।

फंड्स में निवेश पर पेन नंबर की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया और एसआईपी के माध्यम से सालाना पचास हजार से कम के निवेश पर इसमें छूट भी प्रदान की गई।।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई पर सोमवार 30 नवंबर 2009 से म्युचुअल फंडों की ट्रेडिंग भी शुरू हो गई। इसके साथ ही शेयरों की तरह ही म्युचुअल फंड यूनिटों की खरीद-बिक्री भी शेयरों की तरह संभव हो गई। एनएसई ने म्युचुअल फंडों के कारोबार के लिए म्युचुअल फंड सर्विस सिस्टम (एमएफएसएस) नाम से एक अलग प्लेटफॉर्म तैयार किया है।

webdunia
ND
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) भी एनएसई के पीछे-पीछे इस क्षेत्र में उतर गया। बीएसई ने सेंट्रल डिपोजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (सीडीएसएल) के साथ मिलकर म्युचुअल फंड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तैयार किया है।

उम्मीद है कि सेबी के प्रयास रंग लाएँगे, जून 2010 तक बाजार के फिर 21 हजारी होने की उम्मीद भी निवेशकों को इस बाजार की तरफ लौटाने में सफल होगी। कम जोखिम में अधिक लाभ, नई फंड स्कीम और जीडीपी दर में तेजी से हो रहा सुधार भी निवेशकों को म्युचुअल फंड की ओर खींचने में सफल होगा। इस आशा के साथ एमएफ कंपनियाँ 2010 का स्वागत करने के लिए आतुर है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi