नई दिल्ली। एक जनवरी से विभिन्न पदों पर नौकरियों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया बंद करने और कुछ सरकारी सेवाओं में शपथ पत्र की अनिवार्यता समाप्त करने जैसी अहम पहल कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के उन कदमों में शामिल हैं, जो वर्ष 2015 में छाए रहे।
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रमाण पत्रों को राजपत्रित अधिकारियों से सत्यापित कराने की अनिवार्यता की समाप्ति करके स्व सत्यापन को प्रोत्साहन सबसे क्रांतिकारी और अहम निर्णय है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया, क्योंकि वह नागरिकों और अधिक महत्वपूर्ण रूप से अपने युवाओं पर भरोसा करना चाहती हैं, जो स्व सत्यापित दस्तावेजों को जमा करते समय गलत जानकारी नहीं देंगे।
इस कदम से आम लोगों, खासकर ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों को बड़ी राहत मिली है जिन्हें दस्तावेजों का सत्यापन कराते समय कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मंत्रालय ने उन सरकारी कर्मियों के परिजन की ओर से अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए शपथ पत्र जमा कराने की प्रक्रिया भी समाप्त कर दी है जिनका निधन हो चुका है।
जम्मू कश्मीर के उधमपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य सिंह ने कहा कि सरकारी नौकरियों में साक्षात्कार समाप्त करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के तत्काल बाद उनके मंत्रालय ने इसे लागू करने के संबंध में कदम उठाए।
उन्होंने कहा, हमने निर्णय लिया है कि अगले वर्ष एक जनवरी से ग्रुप सी और डी में भर्तियों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया समाप्त कर दी जाएगी। सिंह ने कहा कि ये ऐसे कदम हैं, जिनके बारे में देश की आजादी के बाद पिछले 60 से अधिक वर्षों में किसी ने नहीं सोचा।
सिंह ने कहा, हमने सरकारी कामों में इस्तेमाल किए जाने विभिन्न आवेदन प्रपत्रों को सरल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हम कई पृष्ठों के आवेदन प्रपत्रों को एक पृष्ठ में बदल रहे हैं।
अन्य पहलों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एक पेंशन पोर्टल शुरू किया गया है। सिंह ने कहा, जो लोग सेवानिवृत्त हो रहे हैं, वे अपनी पेंशन की स्थिति ऑनलाइन देख सकते हैं। वे पेंशन भुगतान के आदेशों को भी ऑनलाइन देख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इस साल उनके मंत्रालय को 6.5 लाख जन शिकायतें मिलीं और उनमें से 4.8 लाख का निपटान कर दिया गया। सिंह ने कहा, मंत्रालय कामकाज को सरल करने की दिशा में काम करना जारी रखेगा।
मंत्रालय ने एक और अच्छी पहल करते हुए केंद्र सरकार के कर्मियों और उनके परिजन के लिए 'योग शिविर' का आयोजन शुरू किया। इसके अलावा मंत्रालय ने शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों के माता-पिता को अनिवार्य स्थानांतरण से छूट दी, ताकि वे उनकी उचित देखभाल कर सकें।
अधिकारियों और स्कूली छात्रों के बीच संवाद की परियोजना शुरू की गई है जिसके तहत भारत सरकार के अधिकारी स्कूलों की यात्रा करते हैं और छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करते हैं।
इसी परियोजना के तहत कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिल्ली के केंद्रीय विद्यालयों का दौरा किया और छात्रों से बातचीत की। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के इतिहास में पहली बार 2013 बैच के अधिकारियों को केंद्रीय सचिवालय में तीन महीने के लिए सहायक सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया।
काम में लापरवाही करने वाले नौकरशाहों पर नजर रखने के लिए मंत्रालय ने कर्मियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन शुरू किया है। सरकार ने अपने सभी विभागों से इस प्रकार के जनसेवकों की पहचान करने और समय पूर्व उनकी सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव भेजने को कहा है।
कार्मिक मंत्रालय ने विदेशों में तैनाती के समय आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के अनधिकृत रूप से रूकने पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाए हैं। (भाषा)