नई दिल्ली। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत का नाम सितारों में दर्ज करा चुके भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस वर्ष अपनी उपलब्धियों के ताज में एक और नगीना पिरोते हुए रिकॉर्ड 17 विदेशी उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किए।
इसरो ने इस वर्ष सिंगापुर के छह, ब्रिटेन के पांच, अमेरिका के चार और कनाडा तथा इंडोनेशिया का एक-एक उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। अगस्त में पीएसएलवी-सी28 के जरिए ब्रिटेन के पांच उपग्रहों को भेजा गया था।
सितंबर में पीएसएलवी-सी30 के सहारे अमेरिका के चार और इंडोनेशिया तथा कनाडा का एक-एक उपग्रह भेजा गया। इस महीने पीएसएलवी-सी29 के जरिए सिंगापुर के छह उपग्रह प्रक्षेपित किए गए।
संगठन ने 1999 में पहली बार विदेशी उपग्रह को प्रक्षेपित किया था और वह अब तक 19 देशों के 57 विदेशी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाकर दुनिया में अपना लोहा मनवा चुका है। इसरो ने इससे पहले 2008 में नौ, 2009 और 2013 में छह-छह और 2014 में पांच विदेशी उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे थे।
भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, जर्मनी, कोरिया, बेल्जियम, इंडोनेशिया, अर्जेंटीना, इटली, इजरायल, हॉलैंड, डेनमार्क, तुर्की, स्विटजरलैंड, अल्जीरिया, सिंगापुर, लक्जमबर्ग और ऑस्ट्रिया के उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं। पीएसएलवी इसरो का सबसे भरोसेमंद प्रक्षेपण यान बनकर उभरा है और सभी विदेशी उपग्रह इसी यान से प्रक्षेपित किए गए हैं।
इसरो ने इस साल देश की पहली वेधशाला एस्ट्रोसेट के अलावा दिशासूचक उपग्रह आईआरएनएसएस-1डी और दो आधुनिक दूरसंचार उपग्रह जीसैट-6 और जीसैट-15 को प्रक्षेपित करके अंतरिक्ष में भारत की उपस्थिति मजबूत की। आईआरएनएसएस-1डी को 28 मार्च को पीएसएलवी सी-27 के जरिए प्रक्षेपित किया गया। यह पीएसएलवी की लगातार 28वीं सफल उड़ान थी।
जीपीएस की तर्ज पर भारत अपना इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) बना रहा है। इस प्रणाली में सात उपग्रह होंगे जिनमें से चार प्रक्षेपित किए जा चुके हैं।
जीसैट-6 को अगस्त में जीएसएलवी-डी6 के जरिए प्रक्षेपित किया गया जबकि जीसैट-15 को पिछले महीने एरियान-5वीए227 की मदद से फ्रेंच गुयाना के कोरू से छोड़ा गया। इसरो के लिए यह वर्ष इस मायने में भी खास रहा कि उसे 2014 के गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
यह पीएसएलवी की लगातार 28वीं सफल उड़ान थी। जीपीएस की तर्ज पर भारत अपना इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) बना रहा है। इस प्रणाली में सात उपग्रह होंगे जिनमें से चार प्रक्षेपित किए जा चुके हैं।
देश के पहले अंतरग्रहीय मिशन मंगलयान के मंगल की कक्षा में एक साल पूरे होने पर मार्स एटलस जारी किया गया। मंगलयान ने साल के दौरान कई बार लाल ग्रह की सतह की शानदार तस्वीरें भेजीं। हालांकि इस मिशन का कार्यकाल छह महीने का था लेकिन इसमें अभी पर्याप्त ईंधन बाकी है और इसके लंबे समय तक मंगल की कक्षा में रहने की संभावना है। (वार्ता)