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गृह मंत्रालय के लिए चुनौती भरा रहा वर्ष 2016

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और उससे जुड़ी पथराव की घटनाएं केंद्रीय गृह मंत्रालय के लिए इस वर्ष सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई जिनसे निपटने के लिए सरकार को नाकों चने चबाने पड़े।
अच्छी-खासी संख्या में माओवादियों के आत्मसमर्पण के बावजूद नक्सल और उग्रवाद की समस्या भी इस साल देश के आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर चुनौती बनी रही। इसी साल गृह मंत्रालय को गंगाराम हंसराज अहीर के रूप में नया राज्यमंत्री मिला। इस साल दो राज्यों अरुणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया और दो राज्यों असम तथा पंजाब में नए राज्यपाल नियुक्त किए गए। भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत अधिकारी किरण बेदी को पांडिचेरी का उप राज्यपाल बनाया गया।
 
गृह मंत्रालय को अरुणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के राजनीतिक संकट के साथ-साथ इस वर्ष हरियाणा में जाट आरक्षण के कारण हुई हिंसा, कश्मीर में प्रदर्शनकारियों के पथराव, आतंकवादी हमले, पड़ोसी देशों से घुसपैठ, श्रीनगर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में छात्रों के बीच झड़प, विवादास्पद परिस्थितियों में स्कूलों में आगजनी की घटनाएं, उड़ी आतंकवादी हमले के बाद सीमा पर तनाव बढ़ने के मद्देनजर सीमावर्ती गांवों को खाली कराने और मणिपुर में आर्थिक नाकेबंदी जैसी घटनाओं से भी दो चार होना पडा।
 
8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद लगभग तीन महीने तक चले विरोध-प्रदर्शन ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी और इस दौरान सुरक्षा बलों तथा प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 80 से भी अधिक लोग मारे गए और 10 हजार असैनिक तथा लगभग सुरक्षा बल के लगभग चार हजार जवान घायल हुए। 
 
बुरहान वानी की मौत से युवाओं में पैदा हुए आक्रोश ने आतंकवाद से प्रभावित राज्य में पहले आंदोलन और फिर पथराव के कारण हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों से नि​पटने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा पेलेट गन के इस्तेमाल से बड़ी संख्या में लोगों के गंभीर रूप से घायल होने पर राजनीतिक हलकों में अच्छा खास बवाल मचा और इसकी गूंज सड़कों से होते हुए संसद में भी सुनाई दी।
 
घाटी में सुरक्षाकर्मियों पर पथराव करने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पेलेट गन के इस्तेमाल को लेकर बढ़े विवाद के बाद सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर इसका विकल्प खोजने को कहा। कश्मीर की स्थिति से निपटने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तीन बार घाटी की यात्रा की जिनमें से एक बार उन्होंने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। हालांकि अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से मुलाकात के बिना घाटी में सामान्य हालात बनाने के इन यात्राओं के उद्देश्यों को ज्यादा सफलता नहीं मिली।
 
इसी बीच 18 सितम्बर को उड़ी में सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले में 19 जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया। इससे देश में पाकिस्तान से आने वाले आतंकवादियों को कड़ा सबक सिखाने का माहौल बन गया। गृहमंत्री ने इसे देखते हुए अमेरिका और रूस का अपना दौरा टाल दिया। इसके बाद सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कार्रवाई की जिससे सीमा पर तनाव बढ़ गया। सरकार ने सीमा पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ा दी गई और लगभग चार लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
 
गृह मंत्रालय साल भर असम में बाड़ लगाने तथा घुसपैठ की चुनौतियों से निपटने में भी लगा रहा। सरकारी आंकडों के अनुसार भारत-बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ के 771 मामले सामने आए। इस दौरान 1990 घुसपैठिए पकड़े गए और 15 मारे गए। पाकिस्तान से लगती सीमा से इस साल घुसपैठ के 242 मामले सामने आए जिनमें 81 घुसपैठियों को पकड़ा गया और 39 मारे गए।
 
भारत-म्यांमार सीमा पर घुसपैठ के 95 मामले दर्ज किए गए जिनमें 110 घुसपैठिए पकड़े गए और 14 मारे गए। सरकार ने बांग्लादेश से लगती सीमा को वर्ष 2019 तक सील करने का लक्ष्य रखा है। यह सीमा 3326 किलोमीटर लंबी है और इसमें से 2731 किलोमीटर सीमा को सील किया जा चुका है।
 
केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल में गुजरात से सांसद हरिभाई परथीभाई चौधरी की मंत्रालय से विदाई के साथ ही गृह मंत्रालय को श्री हंसराज गंगाराम अहीर के रूप में एक नया गृह राज्य मंत्री मिला। श्री बनवारी लाल पुरोहित को असम और राज्यसभा सांसद वी पी सिंह बदनौर को पंजाब का राज्यपाल बनाया गया। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को पुड्डुचेरी का उप राज्यपाल बनाया गया।
 
कांग्रेस के शासन वाले अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में राजनीतिक संकट के चलते क्रमश: जनवरी और मार्च में राष्ट्रपति शासन लगाया गया लेकिन इन दोनों ही राज्यों में सरकार को मुंह की खानी पड़ी और न्यायालय के फैसलों के बाद कांग्रेस सरकारों की बहाली हुई। पूर्वोत्तर में इस साल कमोबेश शांति रही और एनएससीएन के नेता इसाक स्वू की मौत के बाद से विद्रोही संगठनों की गतिविधियों में नरमी देखी गई हालांकि मणिपुर में पिछले एक महीने से भी अधिक समय से विद्रोही संगठनों द्वारा की जा रही आर्थिक नाकेबंदी से निपटने के लिए भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को जोर लगाना पड़ रहा है।
 
सुरक्षा बलों ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी दबिश जारी रखी जिससे नक्सली गतिविधियां अपेक्षाकृत शांत रहीं। वर्ष के पहले चार महीनों में ही 76 नक्सली मारे गए और 665 गिरफ्तार किए गए जबकि लगभग 300 ने आत्मसमर्पण किया। हरियाणा में जाट आरक्षण के दौरान हुए आंदोलन ने बाद में दो जातियों के बीच हिंसा का रूप धारण कर लिया जिससे निपटने के लिए सेना की मदद ली गई। इस हिंसा में 30 लोगों की जान गई और लगभग सवा तीन सौ घायल हुए।
 
विदेशों से चंदा लेने वाले कुछ बड़े गैर सरकारी संगठनों पर पाबंदी लगाए जाने से भी गृह मंत्रालय चर्चा में रहा। विवादास्पद धर्म उपदेशक जाकिर नाइक तथा उनके संगठन के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। जाकिर नाइक के संगठन का लाइसेंस नवीकरण किए जाने के मामले में मंत्रालय के चार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आतंकवादी हमले के बाद सुर्खियों में आए जाकिर नाइक का पीस टेलीविजन भी सरकारी रडार के तहत आ गया।
 
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कुछ गैर सरकारी संगठनों को गैर कानूनी ढंग से नोटिस देने और भ्रष्टाचार के मामले में मंत्रालय के एक अवर सचिव आनंद जोशी को गिरफ्तार किया जिन्हें बाद में बर्खास्त कर दिया गया। पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लै द्वारा एक साक्षात्कार में पूर्व गृहमंत्री पी चिदम्बरम पर हलफनामा बदलने का आरोप लगाए जाने के साथ ही इशरत जहां मुठभेड़ मामला इस साल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया।
 
पूर्व सैनिकों की तर्ज पर एक रैंक एक पेंशन (ओआरओपी) की मांग कर रहे केंद्रीय पुलिस बलों ने इस साल भी मंत्रालय पर दबाव बनाए रखा। हालांकि सरकार अब तक उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दे सकी है। न्यायालय द्वारा देशभर के सभी सिनेमा हाल में फिल्म दिखाने से पहले राष्ट्रगान बजाने को अनिवार्य किए जाने के मद्देनजर मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी कर इस आदेश का पालन करने को कहा। (वार्ता)

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