नई दिल्ली। भारतीय एथलेटिक्स के लिए वर्ष 2016 काफी निराशाजनक रहा जिसमें ओलंपिक सहित किसी भी बड़ी प्रतियोगिता में खिलाड़ी छाप नहीं छोड़ पाए, जबकि डोपिंग को लेकर भी देश को शर्मसार होना पड़ा।
एथलीटों के निराशाजनक प्रदर्शन के बीच एकमात्र अच्छी खबर भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा का जूनियर विश्व रिकॉर्ड रहा जो विश्व रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले पहले भारतीय एथलीट बने। इससे यह उम्मीद भी बंधी कि भारत विश्वस्तरीय एथलीट तैयार कर सकता है।
हरियाणा के इस 18 वर्षीय एथलीट ने पोलैंड के बिदगोज में आईएएएफ विश्व अंडर 20 चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर की दूरी के साथ पिछले अंडर 20 विश्व रिकॉर्ड में लगभग दो मीटर का सुधार किया जो 84.69 मीटर के साथ लातविया के जिगिमुंद्स सिरमाइस के नाम था।
इस बार ओलंपिक में भारत के रिकॉर्ड 34 ट्रैव एवं फील्ड खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया लेकिन ललिता बाबर के अलावा कोई भी प्रभावित नहीं कर पाया। रियो ओलंपिक में प्रदर्शन भारत के एथलेटिक्स इतिहास के सबसे बदतर प्रदर्शन में से एक है।
लंदन 2012 में दो खिलाड़ियों विकास गौड़ा और कृष्णा पूनिया ने फाइनल में जगह बनाई थी जबकि पैदल चाल के दो खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था, लेकिन इस बार सरकार के टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
ललिता ने महिला 3000 मीटर स्टीपलचेज के फाइनल में प्रदर्शन बनाई। वे 30 साल पहले लास एंजिल्स 1984 में 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में पीटी उषा के जगह बनाने के बाद ट्रैक स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय हैं। वे अंत में 10वें स्थान पर रहीं।
खेलों से पहले का समय भी अच्छा नहीं रहा जब दो राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक गोलाफेंक के इंदरजीत सिंह और 200 मीटर धावक धरमबीर सिंह डोपिंग टेस्ट में विफल हो गए और दोनों को ओलंपिक में हिस्सा लेने से रोक दिया गया।
दूसरे डोप अपराध के कारण धरमबीर पर पिछले महीने आठ साल का प्रतिबंध लगाया गया। इंदरजीत के मामले पर अब भी नाडा के डोपिंगरोधी अनुशासन पैनल के समक्ष सुनवाई चल रही है। प्रशासनिक मामलों में भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिले सुमारिवाला को दूसरे कार्यकाल के लिए इस पद पर निर्विरोध चुना गया। (भाषा)