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साल 2016 : प्रधानमंत्री ने किया 'नोटबंदी' का बड़ा ऐलान

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नई दिल्ली। नोटबंदी, लक्ष्यभेदी हमले, जियो, रिंगिंग बेल्स, पैलेट गन, ब्रेग्जिट... ये वे शब्द हैं, जो गुजरते वर्ष 2016 में लंबे समय चर्चा में बने रहे। कुछ तो बड़े बदलाव का कारण भी बन गए।
8 नवंबर की रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान 500 रुपए और 1,000 रुपए के नोट अमान्य करने का ऐलान किया और 'नोटबंदी' शब्द का असर अगले दिन से ही नजर आने लगा। बैंकों के आगे लंबी कतारें, विपक्ष का विरोध और बैंकों से सीमित राशि निकासी के लिए जद्दोजहद के बीच लोगों ने इस नोटबंदी का स्वागत करते हुए कहा कि लंबे फायदे के लिए छोटी-मोटी परेशानी से उन्हें कोई गुरेज नहीं है। नोटबंदी के कारण उत्पन्न हालात में बदलाव फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।
 
नोटबंदी के साथ ही जुड़ा है शब्द 'कैशलेस' जिसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था में पूंजी का प्रवाह तो हो लेकिन उसमें नकदी का कोई अस्तित्व नहीं होता। इसके तहत भुगतान क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड, इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग तथा 'इमीडिएट पेमेंट सिस्टम' (आईपीएस) 'नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर' (एनईएफटी) तथा 'रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट' (आरटीजीएस) के जरिए किया जाता है। नोटबंदी के साथ सुर्खियों में आए शब्द 'कैशलेस' पर इन दिनों सरकार का बहुत जोर है।
 
18 सितंबर को तड़के जम्मू-कश्मीर के उड़ी में 4 आतंकवादियों ने सेना के आधार शिविर पर हमला किया जिसमें 18 भारतीय जवान शहीद हो गए और 20 अन्य घायल हो गए। इस हमले के 11 दिन बाद भारत ने अपनी तरह की पहली कार्रवाई में 28 सितंबर की रात नियंत्रण रेखा के पार स्थित 7 आतंकी ठिकानों पर निशाना साधकर लक्षित हमले (लक्ष्यभेदी हमले) किए। 
 
लक्षित हमलों में सेना ने कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से (पीओके) से भारत में घुसपैठ की तैयारी कर रहे आतंकवादियों को भारी नुकसान पहुंचाया। इस कार्रवाई के बाद 'लक्ष्यभेदी हमले' शब्द हर भारतीय की जुबान पर छा गया।
 
इस साल दूरसंचार क्षेत्र में रिलायंस 'जियो' एक बड़े बदलाव के रूप में आया। किसी भी नेटवर्क पर मुफ्त में बातचीत तथा असीमित डाटा उपयोग की पेशकश कर मुकेश अंबानी की कंपनी ने अन्य दूरसंचार कंपनियों को भी इस प्रकार की पेशकश के लिए मजबूर किया। कंपनी ने इस साल 5 सितंबर से सभी के लिए 4जी सेवा शुरू की और 31 दिसंबर तक किसी भी नेटवर्क पर मुफ्त में बातचीत तथा असीमित डाटा उपयोग की पेशकश की। बाद में छूट की समयसीमा बढ़ाकर 31 मार्च कर दी गई। इस माह की शुरुआत में कंपनी के ग्राहकों की संख्या 5.2 करोड़ पहुंच गई, हालांकि कंपनी अखबारों में दिए गए अपने विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर के कारण विवादों में भी रही।
 
दुनिया का सबसे सस्ता स्मार्ट फोन 'फ्रीडम 251' लाने को लेकर 'रिंगिंग बेल्स' ने इस साल जमकर सुर्खियां बटोरीं। नोएडा की कंपनी ने इस साल फरवरी में 'फ्रीडम 251' फोन बेचने की घोषणा की थी। इस फोन को बुक कराने के लिए काफी हंगामा रहा और करीब 7 करोड़ लोगों ने इसके लिए पंजीयन का प्रयास किया था।
 
लेकिन जब मीडिया के समक्ष इस फोन का नमूना पेश किया गया तो यह किसी अन्य विनिर्माता द्वारा बनाया गया फोन निकला जिसके लोगो को ढंक दिया गया था। इसका खरीदारों ने विरोध किया और पुलिस और अधिकारियों ने इसकी जांच शुरू की। इसकी वजह से कंपनी ने फोन की बिक्री रोकी और बुकिंग कराने वालों को रिफंड की पेशकश की। इस फोन का दाम कंपनी ने 251 रुपए रखा था। कंपनी ने अपने लॉयल्टी कार्ड कार्यक्रम के तहत बॉलीवुड अभिनेत्री सनी लियोनी को प्रचार-प्रसार के लिए जोड़ा है।
 
जम्मू-कश्मीर में जुलाई से 'पैलेट गन' शब्द खबरों में लंबे समय तक बना रहा। आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए सुरक्षा बलों ने पैलेट गन का उपयोग किया जिसकी जमकर खिलाफत की गई। यह मामला उच्चतम न्यायालय तक गया जिसने कहा कि प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए पैलेट गनों का उपयोग अंधाधुंध नहीं बल्कि उचित ढंग से सोचने समझने के बाद ही होना चाहिए। 
 
पैलेट गन एक 'गैरजानलेवा हथियार' है जिसे चलाने पर रबर और प्लास्टिक के सैकड़ों छर्रे निकलते हैं जिनकी दिशा अनियंत्रित होती है। शरीर में जहां-तहां ये छर्रे लगते हैं तो बहुत तकलीफ होती है। करीब 50 से 60 मीटर की रेंज वाली पैलेट गन के छर्रे जम्मू-कश्मीर के प्रदर्शनकारियों के लिए एक हद तक जानलेवा साबित हुए हैं।
 
ब्रिटेन में इस साल हर खबर पर 'ब्रेग्जिट' की खबरें भारी पड़ीं। देश में वर्ष 2016 में हुआ ऐतिहासिक मतविभाजन यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में रहा। 23 जून को हुए जनमत संग्रह में 'ब्रेग्जिट' इस साल का सबसे चर्चित शब्द बन गया। जनमत संग्रह के विपरीत परिणामों से दुखी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस्तीफा दे दिया जिससे दुनियाभर के बाजार मुंह के बल जा गिरे। इसके साथ ही आप्रवासन और पूरे यूरोप में दक्षिणपंथ के उभार जैसे मुद्दों पर ताजा बहस शुरू हो गई। ब्रिटेन की सत्ता एक महिला प्रधानमंत्री टेरीजा मे के हाथ में आ गई।
 
अप्रैल में पनामा की एक विधि फर्म से लीक हुए दस्तावेजों ने कई दिग्गजों को हिला दिया। लीक हुए ये दस्तावेज पनामा की एक विधि फर्म मोजैक फोंसेका से आए। इस फर्म के 35 से भी अधिक देशों में दफ्तर हैं। ये दस्तावेज लगभग 2,14,000 आफशोर इकाइयों से जुड़े हैं और इसमें 40 साल तक का लेनदेन शामिल है।
 
पनामा की आग की आंच में रूस, चीन, पाकिस्तान से लेकर कई देशों के राजनीतिक दिग्गजों, कलाकारों, खिलाड़ियों, कारोबारियों के नाम सामने आए। दस्तावेजों से यह संकेत मिला कि दुनियाभर की अनेक हस्तियों ने अरबों डॉलर की राशि पनामा में छिपाई। ऐसी आशंका जताई गई कि इस प्रकरण के सामने आने से पनामा की छवि एक ऐसी जगह के रूप में बनेगी, जो कर चोरों के लिए पनाहगाह या मनीलांड्रिंग का बड़ा केंद्र है। छोटे से देश पनामा की आबादी सिर्फ 40 लाख है।
 
आखिर कौन है यह 'सोनम गुप्ता' और कैसी है उसकी बेवफाई? बिना किसी अस्तित्व के ही सोनम गुप्ता की हो रही बेशुमार चर्चा ने हर व्यक्ति के मन में यह सवाल जगाया। आलम यह रहा कि सोशल मीडिया पर 'बेवफाई' की कहानी वायरल होने के बाद कृत्रिम व्यक्तित्व सोनम गुप्ता इस साल गूगल सर्च इंजन पर सर्च किए जाने वाले लोगों की सूची में तीसरे नंबर पर रही।
 
सोनम गुप्ता का नाम सबसे पहले 10 रुपए के कटे-फटे नोट पर आया था। इसमें देवनागरी में लिखा था कि 'सोनम गुप्ता बेवफा है'। सरकार द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1,000 का नोट बंद करने की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर 'सोनम गुप्ता बेवफा है' छा गया। इसके बाद विभिन्न देशों के करेंसी नोट भी इन्हीं शब्दों के साथ सोशल मीडिया पर छा गए। कई लोगों ने इस तथाकथित सोनम गुप्ता का बचाव भी किया। (भाषा)

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