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साल 2016 : पठानकोट, उड़ी, नगरोटा हमलों से भारत हुआ लहूलुहान

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नई दिल्ली। दुनिया को अहिंसा का संदेश देने वाला भारत गुजरते बरस में पठानकोट, उड़ी, पम्पोर और नगरोटा में किए गए आतंकी हमलों से लगातार लहूलुहान हुआ और सीमा पार से जारी आतंकवाद से त्रस्त हो कर उसने कश्मीर के पड़ोसी देश के कब्जे वाले हिस्से में स्थित आतंकी शिविरों पर लक्षित हमले किए।
आतंकवाद हालांकि थमता नजर नहीं आ रहा है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का नया चेहरा बने बुरहान वानी की मौत को पड़ोसी देश ने शहादत करार दे कर भारत के घावों पर नमक ही छिड़का है। 8 जुलाई को पुलिस के साथ मुठभेड़ में वानी की मौत के बाद इस साल जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक हिंसा, अशांति और कफ्र्यू का दौर चला।
 
साल 2016 की शुरुआत में ही 2 जनवरी को सैनिकों के भेष में पहुंचे सशस्त्र पाकिस्तानी आतंकियों ने पंजाब के पठानकोट में वायुसेना स्टेशन पर हमला किया। सुरक्षाबलों को वायुसेना स्टेशन से आतंकियों का सफाया करने में 4 दिन लगे और उन्होंने अपने 7 जवान भी खोए।
 
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने माना कि कुछ खामियां थीं जिनके चलते यह हमला हुआ। पठानकोट वायुसेना स्टेशन अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर है। वायुसेना के किसी स्टेशन पर यह आतंकवादियों का पहला हमला था।
 
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस हमले के बाद कहा कि हमले में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद (की संलिप्तता) की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। हाल के वर्षों में सुरक्षाबलों पर सबसे घातक हमले में 25 जून को आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के पास पम्पोर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को ले जा रही एक बस को निशाना बनाया जिसमें 8 जवान शहीद हो गए।
 
इस हमले के घाव भर भी नहीं पाए थे कि 18 सितंबर को तड़के जम्मू-कश्मीर के उड़ी में 4 आतंकवादियों ने सेना के आधार शिविर पर हमला कर दिया। उड़ी हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए और 20 अन्य घायल हो गए। जारी
 
उड़ी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इसके जिम्मेदार आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा। रक्षामंत्री पर्रिकर ने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उड़ी आतंकी हमले के 11 दिन बाद, भारत ने अपनी तरह की पहली कार्रवाई में 28 सितंबर की रात नियंत्रण रेखा के पार स्थित 7 आतंकी ठिकानों पर निशाना साधकर लक्षित हमले (लक्ष्यभेदी हमले) किए। लक्षित हमलों में सेना ने कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से (पीओके) से भारत में घुसपैठ की तैयारी कर रहे आतंकवादियों को 'भारी नुकसान' पहुंचाया। इस कार्रवाई में कई आतंकी मारे गए।
 
इस कार्रवाई पर जहां भारत को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का समर्थन मिला वहीं अलग थलग पड़े पाकिस्तान ने अपने यहां होने वाले दक्षेस सम्मेलन को टाल दिया। सीमा पार से संघर्ष विराम की घटनाएं पूरे साल हुईं लेकिन उड़ी हमले के बाद इनमें तेजी आ गई।
 
29 नवंबर को आतंकियों ने जम्मू के नगरोटा में सेना के शिविर पर हमला किया जिसमें सेना के 7 जवान शहीद हो गए। सीमा पार से जारी आतंकवाद को रोकने की बार बार अपील करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 अक्तूबर को गोवा के बेनौलिम में पाकिस्तान को दुनिया भर में आतंकवाद के 'पोषण की भूमि' करार देते हुए कहा कि आतंकवाद का सहयोग करने वालों को 'पुरस्कृत नहीं, बल्कि दंडित' किया जाना चाहिए।
 
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजीलियाई नेता माइकल टेमर की उपस्थिति वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उसकी कड़ी निंदा करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत के पड़ोस में एक देश है जो न सिर्फ आतंकवादियों को शरण देता है, बल्कि ऐसी सोच को पाल-पोस रहा है जो सरेआम यह कहती है कि राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवाद जायज है।
 
पाकिस्तान हर बार आतंकवाद में अपनी भूमिका को नकारता रहा लेकिन फरवरी में पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली ने साल 2008 के मुंबई हमले की पूरी साजिश से पर्दा उठाते हुए अदालत को बताया कि किस तरह पाकिस्तान सरजमीं पर साजिश रची गई और 2 नाकाम कोशिशों के बाद 10 आतंकवादियों ने इस शहर में आतंक का खेल खेला और इस पूरी साजिश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के 3 अधिकारियों की प्रत्यक्ष भूमिका थी।
 
मुंबई हमले में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिका में फिलहाल 35 साल की सजा काट रहे हेडली ने विशेष न्यायाधीश जीए सनप के समक्ष वीडियो लिंक के जरिए करीब साढ़े 5 घंटे की गवाही के दौरान 26 नवंबर, 2008 के मुंबई हमलों का सिलसिलेवार ब्योरा दे दिया। मुंबई हमलों में 166 लोगों की मौत हो गई थी। अमेरिका सहित दुनिया के विभिन्न देशों ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के रूख का समर्थन किया।
 
अमेरिका ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि वह अपने लिए जिन आतंकी समूहों को खतरा मानता है उनके समेत देश के सभी आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करे, खासतौर से उनके खिलाफ जो उसके पड़ोसियों को निशाना बना रहे हैं।
 
भारत के अलावा दूसरे देश भी आतंकवाद के कहर के शिकार बने। 2 मार्च को अफगानिस्तान के जलालाबाद में आतंकवादियों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाकर हमला किया जिसमें एक अफगान सुरक्षाकर्मी सहित नौ लोग मारे गए और इमारत को नुकसान पहुंचा।
 
एक जुलाई को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में उच्च सुरक्षा वाले राजनयिक क्षेत्र के एक लोकप्रिय रेस्तरां में आईएसआईएस के संदिग्ध आतंकवादियों के हमले में एक भारतीय लड़की सहित ज्यादातर विदेशी नागरिक मारे गए।
 
फ्रांस में नीस स्थित एक रिसॉर्ट में 15 जुलाई को बास्तील दिवस पर आतिशबाजी का प्रदर्शन देख रहे लोगों की भीड़ को एक ट्रक कुचलते हुए करीब 2 किमी तक चला गया जिससे 84 लोगों की मौत हो गई।
 
क्रूरता की सीमाएं पार करते हुए आतंकी गुट आईएसआईएस ने तुर्की, अफगानिस्तान, सउदी अरब, फ्रांस, इराक, सीरिया, बुर्किना फासो, सोमालिया सहित विभिन्न देशों में अपना निर्मम खेल खेला और बेगुनाहों का खून बहाया। (भाषा)

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