धार्मिक कट्टरता, उन्माद और जातिवाद आज वैश्विक धरातल पर कई रूपों में उभर रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। देशभर में छुटपुट दंगे, उन्माद, प्रदर्शन और तोड़फोड़ तो होते ही रहे हैं, साथ ही सोशल मीडिया द्वारा सच और झूठ का घालमेल कर विवाद और उन्माद को बढ़ावा भी दिया जाता रहा। निश्चित ही मीडिया के इस माध्यम का नफरत को बढ़ाने में खासा योगदान रहा है।
*भारत में धर्म प्रारंभ से ही केंद्र में रहा है। राजनीति हो या समाज, फिल्म हो या साहित्य- सभी में धर्म को लेकर अलग-अलग नजरिया, टिप्पणी, बयान और विवाद होते रहे हैं। राजनीति की बात करें तो राहुल गांधी के धर्म को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। चुनावों में हार के बाद एके एंटोनी की रिपोर्ट में कहा गया था कि कांग्रेस की छवि हिन्दूविरोधी है जिसके कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इसी के चलते ही राहुल गांधी अब हर चुनाव में मंदिर-मंदिर माथा टेकने जाते रहते हैं, हालांकि चुनाव तक ही यह कवायद रहती है।
*उधर, हिन्दुत्व की कट्टर छवि वाले नेता योगी आदित्यनाथ का उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनना सभी के लिए कोई आश्चर्य वाली बात नहीं थी। हालांकि उत्तरप्रदेश के चुनाव में राष्ट्रवाद के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष ताकतों ने माहौल ठीक उसी तरह का बना दिया था, जैसा कि 2014 में मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित करने के बाद बना दिया गया था। हिन्दू समाज को बांटकर धर्म की राजनीति करने के प्रचलन के तहत मायावती तो उत्तरप्रदेश में सफल नहीं हो पाईं लेकिन कांग्रेस ने इस बार गुजरात में बाजी मार ली। हालांकि धर्म की राजनीति करने का आरोप भाजपा पर ही ज्यादा लगता आ रहा है।
*इस बीच वर्षभर अयोध्या में राम मंदिर भी सत्ता के केंद्र में रहा। राम मंदिर को लेकर दोनों ही पक्षों में वाद-विवाद के बीच विवादित बयानों का सिलसिला भी जारी रहा। एक बात और, इस साल आक्रमणकारी मुगल बादशाह बाबर का कथित वंशज प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी भी चर्चा में रहा। उसने भी खुद को एक पक्षकार बनाए जाने की याचिका दायर की थी। इसी कारण उसने असदुद्दीन ओवैसी की ओर से जान से मारने की धमकियां भी मिलने की शिकायत की थी। इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण वर्षों बाद पहली बार अयोध्या में भव्य तरीके से दीपावली मनाई गई, क्योंकि इसी दिन भगवान राम अयोध्या लौटे थे। दिसंबर से अब 11 दिवसीय चलने वाले अयोध्या महोत्सव की शुरुआत भी हो चुकी है।
*वर्षभर देश के राष्ट्रीय पटल पर लव जिहाद, रोहिंग्या मुस्लिम, धर्मांतरण, गाय की तस्करी, गौरक्षक, वंदेमातरम् विवाद, तीन तलाक, बॉलीवुड की हिन्दू विरोधी फिल्में, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दू, ईसाई, बौद्ध और सिखों का कत्ल, बंगाल, केरल, कश्मीर और असम में मुस्लिम कट्टरपंथियों का प्रदर्शन आदि बने रहे हैं। इनमें से मीडिया ने लव जिहाद, रोहिंग्या मुस्लिम, तीन तलाक, हिन्दू इतिहास के साथ छेड़छाड़ करतीं फिल्में और गौरक्षकों द्वारा हमले को प्रमुख मुद्दा बनाकर विवाद और बहस को बढ़ावा दिया। केरल और कर्नाटक में एक ओर जहां हिन्दूवादी नेताओं की हत्या की, वहीं उत्तर भारत में गो तस्करों के खिलाफ हमले हुए हैं। गोरक्षा के नाम पर मारे गए लोगों की अभी ठीक से जांच किया जाना बाकी है, हालांकि इससे मीडिया में निरंतर बवाल रहा है।
*इस वर्ष भी विवादित धर्मगुरु जाकिर नाईक भी चर्चा में रहे। हिन्दू धर्म के वैदिक और पौराणिक श्लोकों की गलत व्याख्या करके इस्लामिक सत्यों को स्थापित करने के आरोप झेल रहे जाकिर नाईक पर धर्मांतरण, टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं। आपको बता दें कि नाइक 1 जुलाई 2016 को तब भारत से भाग गया था, जब पड़ोसी देश बांग्लादेश में आतंकवादियों ने दावा किया कि वे जेहाद शुरू करने को लेकर उसके भाषणों से प्रेरित हुए थे। हालांकि इस मामले में भारतीय एजेंसियों को बड़ा झटका देते हुए इंटरपोल ने साल के अंत में नाइक के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से इंकार कर दिया है।
दरअसल, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करवाने के भारत के प्रयासों को झटका देने के बाद चीन ने दूसरी शातिराना यह चाल चली। चीन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जाकिर नाइक के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस को जारी नहीं होने दिया। वर्तमान में इंटरपोल के मुखिया मेंग होंगवेई चीनी नागरिक हैं और वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विश्वासपात्र हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक जाकिर नाइक के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस को रुकवाने में मेंग होंगवेई की अहम भूमिका रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक जाकिर नाइक इस वक्त मलेशिया में छुपा हुआ है। भारत की एजेंसियों को शक है कि जाकिर नाइक के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस न जारी होने देने में मलेशियाई सरकार का भी रोल है।
जनवरी :-
जनवरी में कश्मीर में भूस्खलन तो होते ही रहते हैं, इसमें कम से कम 15 जवान मारे गए थे। इस माह में बिहार के पटना में गंगा नदी में मकर संक्रांति उत्सव के दौरान गंगा नदी में नाव के पलटने से 25 श्रद्धालु मारे गए थे।
फरवरी :-
फरवरी और मार्च में 5 राज्यों में चुनाव हुए- पंजाब, उत्तरप्रदेश, मणिपुर, उत्तराखंड और गोआ। पांचों राज्यों में से पंजाब को छोड़कर सभी राज्यों में भाजपा ने जीत हासिल की। इस दौरान धर्म की राजनीति और राजनीति का धर्म हावी रहा। खासकर हिन्दुओं को जाति के नाम पर बांटकर वोट हासिल करने की होड़ रही
मार्च :-
* केरल के कन्नूर जिले में कोट्टियूर के एक चर्च के पादरी फादर रॉबिन उर्फ मैथ्यू वडक्कनचेरिल द्वारा एक लड़की के साथ कथित बलात्कार की घटना से जुड़े तथ्यों को छुपाने के लिए 5 ननों सहित 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह मामला मार्च 2017 का है।
मामले की जांच कर रहे अधिकारी पेरावूर सर्किल के निरीक्षक सुनील कुमार के अनुसार जिले के कुतुपरम्बा स्थित निजी अस्पताल के प्रभारी और 5 ननों के अलावा 2 अन्य लोगों के खिलाफ पोक्सो अधिनियम की गैरजमानती धाराओं और किशोर न्याय अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। यह मामला उस समय सामने आया, जब जिले के नीनदुनोक्की इलाके में रहने वाली लड़की ने 7 फरवरी को कोथुपरमबा के एक निजी अस्पताल में एक लड़के को जन्म दिया।
जुलाई :-
10 जुलाई को अमरनाथ यात्रियों पर हमला किया गया जिसमें 7 श्रद्धालु मारे गए और लगभग 16 घायल हो गए थे। इसके बाद 16 जुलाई को अमरनाथ यात्रियों की एक बस पर हमला किया गया जिसमें 16 अमरनाथ यात्री मारे गए थे। हिन्दू धार्मिक यात्राओं पर हमले इससे पहले भी हो चुके हैं।
अगस्त :-
*22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के मुद्दे पर अपना महत्वपूर्ण निर्णय दिया। कोर्ट ने तीन तलाक कर तत्काल रोक लगाई और इसे असंवैधानिक करार देकर कहा कि केंद्र चाहे तो इस पर कानून पारित कर सकता है।
*25 अगस्त 2017 में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह बाबा को बलात्कार और हत्या के मामले में हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर रोहतक की सुनारिया जेल में डाल दिया। उसकी गिरफ्तारी के दौरान 41 लोगों की मौत हो गई थी और 300 लोग घायल हो गए थे।
15 अगस्त 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्मा राम रहीम 1990 में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बना। वो खुद को रॉकस्टार बाबा के रूप में प्रस्तुत करता रहा। कथित रूप में अपनी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत के साथ फिल्म भी बनाई। गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को 2 महिलाओं के साथ बलात्कार करने के मामले में 20 साल के कारावास की सजा दी गई है।
*भारत के आदिवासी इलाकों में ईसाइयों द्वारा धर्मांतरण किए जाने का अभियान चलता रहता है। खासकर झारखंड, मध्यप्रदेश, बिहार, ओडिशा और गुजरात में इनकी सक्रियता अधिक है। संभवत: इसी के चलते झारखंड में इस वर्ष धर्म स्वतंत्र विधेयक लाया गया। इस विधेयक के बाद अब संभवत: धर्मांतरण पर रोक लगेगी। लेकिन झारखंड के दुमका में धर्मांतरित ईसाइयों ने इसके खिलाफ मौन जुलूस निकाला।
सितंबर :-
*सितंबर माह में दशहरा मनाने के लिए अधिकतर लोग अपने घर जाते हैं। इस दौरान मुंबई में परेल-एलफिंस्टन स्टेशन के पास बने पुल पर ज्यादा भीड़ की वजह से भगदड़ मच गई जिससे एक बड़ा हादसा हो गया। इस भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई और 39 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
*अलवर (राजस्थान) की पुलिस ने सितंबर में बलात्कार की कोशिश के मामले में फंसे जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कौशलेन्द्र प्रपन्नाचारी फलाहारी महाराज को हिरासत में ले लिया था। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की रहने वाली एक युवती ने फलाहारी बाबा के खिलाफ रेप की कोशिश का केस दर्ज कराया था। पुलिस ने बाबा को राजस्थान के अलवर में एक अस्पताल से हिरासत में लिया है। रेप की कोशिश के आरोप में फंसे फलाहारी महाराज खुद को बीमार बताकर अस्पताल में भर्ती थे।
जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के महिला थाने में पीड़ित युवती ने शिकायत दर्ज कराई है कि फलाहारी बाबा ने उसके साथ रेप की कोशिश की थी। पीड़िता के परिजन इस बाबा के शिष्य हैं। यह युवती जयपुर में रहकर कानून की पढ़ाई कर रही थी। उसी दौरान बाबा ने ये हरकत की।
* कई वर्षों के अनुभव के बाद नवरात्रि में देशभर की कई जगहों पर हुए गरबा पांडाल में गैरहिन्दुओं के प्रवेश पर रोक सख्ती से लगाई गई। हालांकि इसका धर्मनिरपेक्ष पार्टियों द्वारा घोर विरोध भी किया गया जिसके चलते कई जगह विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई। पूर्व में दूसरे धर्म के लोगों द्वारा लड़कियों के शोषण की काफी खबरें आती रही हैं जिसके चलते मध्यप्रदेश और गुजरात के कई गरबा पांडालों ने यह निर्णय लिया।
अक्टूबर :-
* पादरी चन्द्र कुमार : अक्टूबर में पटना पुलिस ने पादरी चन्द्र कुमार को 2 महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में गिरफ्तार किया था। एक समाजसेवी की पहल पर दोनों महिलाओं ने पटना के महिला पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने आरोपों की जांच करने के बाद मर्ग कायम किया और पादरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
* सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में इस वर्ष की दीपावली पर प्रदूषण के कारण पटाखे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन छोड़ने पर नहीं। इससे पहले 2016 में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिबंध लगाया था। पटाखों की बिक्री पर बैन की याचिका 3 बच्चों की ओर से दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन बच्चों के फेफड़े दिल्ली में प्रदूषण के कारण ठीक से विकसित नहीं हो पाए हैं।
* बिहार के भोजपुर में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में देश-विदेश के लोग और संत पहुंचे। धर्मसंभव की नगरी आरा यज्ञमय हो गई। यज्ञ स्थल के चारों ओर लगभग 2 से लेकर 10 किलोमीटर तक श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी। श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामीजी महाराज के सान्निध्य में यह सम्मेलन संपन्न हुआ।
दिसंबर :-
* इस जाते साल के आखिरी माह दिसंबर में एक और फर्जी बाबा का भंडाफोड़ हो गया। इस बाबा का नाम है- बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित। दिल्ली के रोहिणी एरिया में बने 'आध्यात्मिक विश्वविद्यालय' से सीबीआई टीम ने 41 लड़कियों को छुड़ाया। पीड़िताओं में कई यूपी और छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखती हैं। यह बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित का आश्रम था। यहां से आजाद हुई एक पीड़िता ने दिल्ली कमीशन फॉर वुमन के सामने बताया कि बाबा खुद को कृष्ण बताता था और उसे अपनी 16 हजार रानियों में से एक मानता था। उन्होंने कई बार उसका रेप किया।
* इस वर्ष रामसेतु फिर से चर्चा में रहा। दिसंबर माह में अमेरिका के साइंस चैनल ने 11 दिसंबर को भारत-श्रीलंका को जोड़ने वाले पत्थर के पुल 'रामसेतु' पर कार्यक्रम का ट्विटर पर प्रोमो जारी किया। प्रोमो के मुताबिक 'रामसेतु' के पत्थर और रेत पर किए गए टेस्ट से ऐसा लगता है कि पुल बनाने वाले पत्थरों को बाहर से लेकर आए थे और 30 मील से ज्यादा लंबा ये पुल मानवनिर्मित है। ये पत्थर तकरीबन 7 हजार वर्ष पुराने हैं।
*तीन तलाक पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते 15 दिसंबर को 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक' को मंजूरी प्रदान की थी। मुस्लिम संगठनों ने इसे संविधान और इस्लाम विरोधी बताया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए। इसमें उत्तरप्रदेश सबसे आगे रहा। इसको देखते हुए सरकार ने कानून की योजना बनाई। अब इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा, जहां बहस के बाद यदि यह पास हो जाता है तो मुस्लिम महिलाओं को अब कानूनन अधिकार मिल जाएगा अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का मानना है कि तीन तलाक के खिलाफ केंद्र सरकार के विधेयक पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत अन्य मुस्लिम संगठन टकराव की राह पर हैं जबकि सरकार जो भी कदम उस दिशा में उठा रही है, वह कानूनी पहलू पर टिका हुआ है। कोर्ट में चली लंबी बहस और कुरान की भी रोशनी में तथ्य सामने आने के बाद तीन तलाक के खिलाफ फैसला आया। सरकार कोर्ट के इस फैसले को कानूनी अमलीजामा पहनाना चाहती है।