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बुधवार को 100 बार गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ पढ़ने से क्या होगा?

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025 (16:55 IST)
ganpati atharvashirsha path in hindi: भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता है। रिद्धि और सिद्धि के दाता हैं और साथ ही वे समृद्धि भी प्रदान करते हैं। गणेशजी की आराधना बहुत मंगलकारी मानी जाती है। बुधवार के दिन उनका अथर्वशीर्ष का पाठ तो लाखों भक्त पढ़ते हैं। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ विशेष कल्याणकारी माना गया है। यदि बुधवार के दिन एक ही स्थान पर बैठकर अथर्वशीर्ष का पाठ 108 बार किया तो क्या होगा?
 
100 बार गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने में कितना समय लगेगा?
100 बार गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने में 4 से 5 घंटे लग सकते हैं।
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108 बार गणपति अथर्वशीर्ष पाठ क्यों पढ़ते हैं?
  1. सभी तरह के विघ्‍नों को शांत करके जीवन में सुख और शांति के साथ समृद्धि के लिए गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करते हैं। 
  2. बुधवार को 100 बार अथर्वशीर्ष का पाठ करने से कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ मिलते हैं।
  3. गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भगवान गणेश की कृपा पाने और बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। 
  4. यदि इसे बुधवार को 100 बार पढ़ा जाए, तो इसके प्रभाव और भी शक्तिशाली हो सकते हैं।
  5. गणपति को बुद्धि और विद्या के देवता माना जाता है। उनका स्तोत्र पाठ करने से मानसिक स्पष्टता, निर्णय क्षमता और स्मरण शक्ति बढ़ सकती है।
  6. यदि जीवन में कोई विघ्न या रुकावट आ रही हो, तो यह पाठ उन्हें दूर करने में सहायक हो सकता है।
  7. निरंतर जाप और पाठ से मन शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।
  8. गणपति को विघ्नहर्ता कहा जाता है, और अथर्वशीर्ष का पाठ करने से अनिष्ट प्रभावों से रक्षा होती है।
  9. यह पाठ करने से व्यापार, करियर और धन संबंधी रुकावटें दूर हो सकती हैं।
  10. ज्योतिष में बुध ग्रह का संबंध बुद्धि और वाणी से है। बुधवार को यह पाठ करने से बुध और राहु के अशुभ प्रभाव शांत हो सकते हैं।
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गणपति अथर्वशीर्ष पाठ करने की विधि:
  • स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठें।
  • गणपति की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  • ध्यान केंद्रित कर अथर्वशीर्ष का पाठ करें।
  • 100 बार पाठ करने के लिए धैर्य और संकल्प के साथ बैठें।
  • यदि संपूर्ण पाठ 100 बार करना कठिन हो, तो इसे 21, 11 या 5 बार करके भी प्रभावी लाभ लिया जा सकता है। 
  • श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया पाठ निश्चित रूप से फलदायी होता है।
  • पाठ हमेशा स्पष्ट उच्चारण के साथ करें।
  • शुद्धता और नियमों का पालन करें।
  • इसे लाल वस्त्र पहनकर और दूर्वा अर्पित करके करना अधिक शुभ माना जाता है।
  • क्या आप इसे करने की योजना बना रहे हैं, या किसी विशेष उद्देश्य के लिए कर रहे हैं?
 

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