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संत कबीर के भजन : राम बिनु

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राम बिनु तन को ताप न जाई।

जल में अगन रही अधिकाई॥

राम बिनु तन को ताप न जाई॥

 

तुम जलनिधि मैं जलकर मीना।

जल में रहहि जलहि बिनु जीना॥

राम बिनु तन को ताप न जाई॥

 

तुम पिंजरा मैं सुवना तोरा।

दरसन देहु भाग बड़ मोरा॥

राम बिनु तन को ताप न जाई॥

 

तुम सद्गुरु मैं प्रीतम चेला।

कहै कबीर राम रमूं अकेला॥

राम बिनु तन को ताप न जाई॥

 

 


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