ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिव हरिशंकर
रुद्रौ पालन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी (1)
देवी नारद सारद तुम वरदायक, अभिनव पदण्डी।
सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि...
शारद पदवाचन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी (2)
देवी धूमक वाहन राजत, वीणा वाद्यन्ती।
झुमकत-झुमकत-झुमकत,
झननन झमकत रमती राजन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी (3)
देवी बाजत ताल मृदंगा,
सुर मण्डल रमती।
तोड़ीतान-तोड़ीतान-तोड़ीतान,
तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी (4)
देवी सकल भुवन पर आप विराजत,
निशदिन आनन्दी।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा
शंकर तुम भट मेटन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी (5)
मैयाजी को कंचन थार विराजत,
अगर कपूर बाती।
अमर कंठ में विराजत
घाटन घाट बिराजत
कोटि रतन ज्योति।
ॐ जय जगदानन्दी (6)
मैयाजी की आरती
निशदिन पढ़ गावरि,
हो रेवा जुग-जुग नरगावे
भजत शिवानन्द स्वामी
जपत हरिनंद स्वामी मनवांछित पावे।
ॐ जय जगदानन्दी (7)