Shri Pitar Aarti: पितृ श्राद्ध पक्ष में तर्पण, पिंडदा और पितृ पूजा के बाद पितरों की चालीसा, पितृ सूक्त का पाठ और पितृ कवच पाठ किया जाता है। अंत में पितरों की आरती उतारी जाती है। पितरों की कई आरतियां प्रचलित हैं परंतु यह आरती सबसे ज्यादा प्रचलित है। आओ पढ़ते हैं पितरों की आरती।
॥ श्री पितर आरती ॥
जय जय पितरजी महाराज,मैं शरण पड़यो हूँ थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा,शरण पड़यो हूँ थारी॥
आप ही रक्षक आप ही दाता,आप ही खेवनहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहि जाणू,आप ही हो रखवारे॥
जय जय पितरजी महाराज।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी,है ये अरज गुजारी॥
जय जय पितरजी महाराज।
देश और परदेश सब जगह,आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको,लगे बहुत सुखदाई॥
जय जय पितरजी महाराज।
भक्त सभी हैं शरण आपकी,अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी,रटूँ मैं बारम्बार॥