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पशु ऊर्जा का समुचित उपयोग कैसे करें

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हमें फॉलो करें पशुधन कृषि कार्यों
-चन्द्रप्रकाश दोशी एवं डॉ. घनश्याम तिवार

प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि अभियांत्रिकी वि.वि. उदयपुर (राजस्थान)

विश्व के पशुधन का एक बड़ा भाग हमारे देश में उपलब्ध है। भारतीय कृषि में भारवाही पशुओं का अत्यधिक महत्व है। देश में उपलब्ध लगभग 6 करोड़ पशुधन कृषि कार्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा में 60 प्रतिशत योगदान करते हैं। राजस्थान में देश का 12 प्रतिशत पशुधन पाया जाता है, जिसमें 30 लाख बैल, 7 लाख ऊँट एवं 13 लाख गधे मुख्य हैं।

भारवाही पशु कर्षण, बीज बुवाई, अन्तः शस्य क्रियाओं, गहाई एवं ग्रामीण यातायात का महत्वपूर्ण साधन है। इन सभी ऋतु आधारित क्रियाओं को पूर्ण करने में 450 से 1500 घण्टे तक प्रतिवर्ष कार्य करना पड़ता है। वास्तव में पशुओं से 2400-2700 घण्टे प्रतिवर्ष तक कार्य सुगमतापूर्वक लिया जा सकता है। निश्चित रूप से इस उपलब्ध पशु ऊर्जा का समुचित दोहन किसान एवं देश दोनों के हित में है। यह पशुओं को चक्राकार गति एकक बनाकर एवं उससे विभिन्न खाद्य प्रसंस्करण मशीनों को चलाकर यह दोहन किया जा सकता है।

प्राचीनकाल से ही पशुओं को चक्राकार पथ पर चलाकर रहट, तेलघाणी, गन्ने का रस निकालने की चरखी आदि को चलाने में किया जाता रहा है। इसी सिद्धांत पर कार्य करते हुए एक चक्राकार शक्ति एकल की अभिकल्पना व निर्माण किया गया।

इस मशीन में क्राउन, पिनियन व स्वर गेयरों का प्रयोग किया गया है। गेयरों का समूह न केवल पशुओं के घूमने की गति कि दिशा को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर करता है, बल्कि चक्रीय गति अनुपात को बढ़ा देता है। पशुओं द्वारा चक्राकार पथ पर एक चक्कर लगाने पर अंतिम गेयर 120 चक्कर लगाता है। इस गति को चक्राकार पथ से बाहर उपलब्ध कराने के लिए पथ से 1 फीट नीचे एक पाइप का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार यह ऊर्जा पथ से बाहर उपलब्ध हो जाती है एवं पशुओं के पथ में कोई अवरोध भी नहीं रहता है।

पशुओं के जुए (जुड़े) से एक रस्सी एक टेलीस्कोपिक बीम (छड़) से बाँधी जाती है, इस छड़ से वृत्ताकार पथ कि त्रिज्या आवश्यकता अनुसार घटाई या बढ़ाई जा सकती है। गेयर एकक के ऊपर एक रेचेट का प्रयोग किया जाता है, जो पशुओं के रुकने की अवस्था में टेलीस्कोपिक बीम को पशु के पैरों में टकराने से रोकता है।

इसी टेलीस्कोपिक बीम के जिस छोर पर जहाँ पशुओं की रस्सी बँधी रहती है, एक रबर का पहिया लगा रहता है, जो इस संयोजन में कम्पनो की उत्पत्ति को बाधित कर देता है। सामान्य गति से चलते हुए बैल, वृत्ताकार पत्र (त्रिज्या 3.5-4.5 मीटर) पर एक मिनट में 2 से 3 चक्कर लगाते हैं। इस गति को यह गेयर एकक चकाकार पथ के बाहर आवर्धित कर 240-420 चक्र प्रति मिनट के रूप में उपलब्ध करा सकता है। यह गति विभिन्न खाद्य प्रसंस्करण मशीनों को चला सकती है। इस गति को पुलियों की सहायता से अधिक या न्यून किया जा सकता है।

इस प्रकार उपलब्ध पशु ऊर्जा का उपयोग कुट्टी काटने, छोटा थ्रेशर चलाने, आटा चक्की चलाने जैसे कार्यों में आसानी से किया जा सकता है। इस प्रकार हम भारवाही पशुओं की उपलब्ध क्षमता का समुचित उपयोग कर सकते हैं।

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