दरबार में बीरबल से जलने वालों की कमी नहीं थी। बादशाह अकबर का साला तो कई बार बीरबल से मात खाने के बाद भी बाज न आता था। बेगम का भाई होने के कारण अक्सर बेगम की ओर से भी बादशाह को दबाव सहना पड़ता था।
बादशाह अकबर के साले ने क्या मांग थी...
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ऐसे ही एक बार साले साहब स्वयं को बुद्धिमान बताते हुए दीवान पद की मांग करने लगे। बीरबल अभी दरबार में नहीं आया था। अतः बादशाह अकबर ने साले साहब से कहा- 'मुझे आज सुबह महल के पीछे से कुत्ते के पिल्ले की आवाजें सुनाई दे रही थीं, शायद कुतिया ने बच्चे दिए हैं। देखकर आओ, फिर बताओ कि यह बात सही है या नहीं ?’
बादशाह ने क्या सवाल किया साले साहब से....
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साले साहब चले गए, कुछ देर बाद लौटकर बोले- 'हुजूर आपने सही फरमाया, कुतिया ही ने बच्चे दिए हैं।'
'अच्छा कितने बच्चे हैं? बादशाह ने पूछा।
'हुजूर वह तो मैंने गिने नहीं।’
'गिनकर आओ।’
साले साहब ने क्या किया....
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साले साहब गए और लौटकर बोले- 'हुजूर पांच बच्चे हैं?’
'कितने नर हैं…कितने मादा?' बादशाह ने फिर पूछा।
'वह तो नहीं देखा।’
'जाओ देखकर आओ।’
आदेश पाकर साले साहब फिर गए और लौटकर जवाब दिया- 'तीन नर, दो मादा हैं हुजूर।’
अपने साले से बादशाह ने अगला सवाल क्या पूछा...
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'नर पिल्ले किस रंग के हैं?’
'हुजूर वह देखकर अभी आता हूं।’
'रहने दो…बैठ जाओ।' बादशाह ने कहा।
बीरबल के दरबार में हाजिर होने पर बादशाह ने क्या किया...
साले साहब बैठ गए। कुछ देर बाद बीरबल दरबार में आया। तब बादशाह अकबर बोले- 'बीरबल, आज सुबह से महल के पीछे से पिल्लों की आवाजें आ रही हैं, शायद कुतिया ने बच्चे दिए हैं, जाओ देखकर आओ माजरा क्या है!’
'जी हुजूर।' बीरबल चला गया और कुछ देर बाद लौटकर बोला- 'हुजूर आपने सही फरमाया…कुतिया ने ही बच्चे दिए हैं।’
बीरबल ने दिया सही जवाब और साबित की अपनी योग्यता...
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'कितने बच्चे हैं?’
'हुजूर पांच बच्चे हैं।’
'कितने नर हैं…। कितने मादा।’
'हुजूर, तीन नर हैं…दो मादा।’
'नर किस रंग के हैं?’
'दो काले हैं, एक बादामी है।’
'ठीक है बैठ जाओ।’
बादशाह अकबर ने अपने साले की ओर देखा, वह सिर झुकाए चुपचाप बैठा रहा। बादशाह ने उससे पूछा- 'क्यों तुम अब क्या कहते हो ?’