Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अक्षय तृतीया पर क्यों है मिट्टी के कलश का महत्व, क्या मिलता है कुंभ दान से

हमें फॉलो करें अक्षय तृतीया पर क्यों है मिट्टी के कलश का महत्व, क्या मिलता है कुंभ दान से
अक्षय तृतीया पर कुंभ का पूजन व दान अक्षय फल प्रदान करता है। धर्मशास्त्र की मान्यता अनुसार यदि इस दिन नक्षत्र व योग का शुभसंयोग भी बन रहा हो तो इसके महत्व में और वृद्धि होती हैं। इस वर्ष की आखातीज पर दिया गया कुंभ का दान भाग्योदय कारक होगा।
 
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया की अधिष्ठात्री देवी माता गौरी है। उनकी साक्षी में किया गया धर्म-कर्म व दिया गया दान अक्षय हो जाता है, इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा गया है। आखातीज अबूझ मुहूर्त मानी गई है। अक्षय तृतीया से समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है। हालांकि मेष राशि के सूर्य में धार्मिक कार्य आरंभ माने जाते हैं, लेकिन शास्त्रीय मान्यता अनुसार सूर्य की प्रबलता व शुक्ल पक्ष की उपस्थिति में मांगलिक कार्य करना अतिश्रेष्ठ हैं।
 
क्या करें अक्षय तृतीया पर : जल से भरे कुंभ को मंदिर में दान करने से ब्रह्मा, विष्णु व महेश की कृपा प्राप्त होती है। वहीं कुंभ का पंचोपचार पूजन व तिल-फल आदि से परिपूर्ण कर वैदिक ब्राह्मण को दान देने से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है। ऐसा करने से पितृ तृप्त होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
 
वैकुंठ पाने के लिए करें उपाय-वैशाख मास माधव का माह है। शुक्ल पक्ष विष्णु से संबंध रखता है। रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ है। धर्मशास्त्र के अनुसार ऐसे उत्तम योग में अक्षय तृतीया पर प्रातःकाल शुद्ध होकर चंदन व सुगंधित द्रव्यों से श्री कृष्ण का पूजन करने से वैकुंठ की प्राप्ति होती है।
 
अक्षय तृतीया पर जल, मिट्टी और कलश तीनों के अलग-अलग दान का महत्व है इसलिए अगर मिट्टी के कलश में ही जल भरकर दान किया जाए तो एक साथ नवग्रहों की शांति तो होती ही है साथ में तीन शुभ सामग्री के दान का पुण्य लाभ भी मिलता है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

7 मई 2019 का राशिफल और उपाय