अक्षय तृतीया का पर्व हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे आखातीज या अक्खा तीज कहते हैं। बताया जाता है कि वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है। जिसमें प्रथम व विशेष स्थान अक्षय तृतीया का है। इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। समस्त शुभ कार्यों के अलावा प्रमुख रूप से शादी, स्वर्ण खरीदने, नया सामान, गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, वाहन क्रय, भूमि पूजन तथा नया व्यापार प्रारंभ कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन स्नान, ध्यान, जप-तप करना, हवन करना, स्वाध्याय और पितृ तर्पण करने से पुण्य मिलता है। अक्षय तृतीया के दिन पंखा, चावल, नमक, घी, चीनी, सब्जी, फल, इमली और वस्त्र वगैरह का दान अच्छा माना जाता है। परंतु इस दिन कुछ कार्य करना वर्जित है। यदि उन्हें करते हैं तो नुकसान उठाना पड़ सकता है। आओ जानते हैं वे कौन से कार्य हैं।
1. अक्षय तृतीया के दिन मांस, प्याज और लहसुन के साथ-साथ मदिरा का भी सेवन वर्जित माना गया है। यह रोग और शोक पैदा करने वाला है।
2. इस दिन बिना स्नान के और अनुमति के तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए अन्यथा माता लक्ष्मी रुष्ठ हो जाती है। रविवार के दिन अक्षय तृतीया हो तो तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए। पूजा हेतु पहले से ही तोड़कर जल में रख लें।
3. अक्षय तृतीया के दिन भवन निर्माण नहीं करना चाहिए लेकिन इस दिन बना बनाया मकान जरूर खरीद सकते हैं।
4. इस दिन शरीर और घर को बिल्कुल भी गंदा नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा होती है।
5. अक्षय तृतीया के दिन भूल से भी घर खाली वापस हाथ नहीं आना चाहिए वर्ना बरकत चली जाती है।
6. इस दिन क्रोध, ईर्ष्या, कटूवचन या गृहकलह ना करें। ऐसा करना अशुभ फलदायी माना गया है।