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कब थमेंगे आलोचनाओं के ये तीर

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पूर्व क्रिकेटर कपिल देव ने हाल ही में एक चैनल को बयान दिया कि सचिन तेंडुलकर को वर्ल्ड कप के बाद ही रिटायर हो जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि धोनी गलत फैसले ले रहे हैं, अब उन्हें कप्तानी छोड़ देना चाहिए। इस बार की बहस का विषय यही है कि क्या देश को दूसरी बार विश्वकप दिलाने वाली टीम जब विदेश में लगातार दौरे कर रही हो तो एक महान क्रिकेटर को इस तरह के बयान देकर टीम के हौसले गिराने चाहिए।

ज ब से न्यूज चैनलों की भरमार हुई है, तभी से विवादास्पद बयान देने की एक परंपरा चल पड़ी है।
कपिल देव का बयान अधिकांश खेलप्रेमियों को नागवार गुजरा है। उनका मानना है कि जब कोई खिलाड़ी फार्म में नहीं हो तो बजाय उसको कोसने के उसकी हौसला अफजाई करना चाहिए
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चाहे राजनीति हो, फिल्में हो या क्रिकेट, आरोप-प्रत्यारोप के खेल चैनलों के माध्यम से खेले जा रहे हैं। कपिल देव का ताजा बयान बहुत निराशाजनक है। भले ही सचिन शतक न मार पा रहे हों, लेकिन एक-दो पारियों को छोड़कर उनका परफार्मेंस बेहतर रहा है। धोनी को विश्व के सफलतम कप्तानों में गिना जा रहा है। उन्होंने दूसरी बार विश्वकप दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।


हर खिलाड़ी के जीवन में अच्छे-बुरे दौर आते हैं, लेकिन उनका साथ देने की बजाय उनका हौसला गिराने का काम ज्यादा हो रहा है। शहर के युवाओं का मिजाज भी कुछ यही कहता है कि कपिल देव का बयान ज्यादती के सिवा कुछ नहीं है। एमबीए स्टूडेंट आशुतोष दुबे ने बताया कि कपिल देव भी जब विश्वकप जीतकर आए थे तो भारतीय टीम भी उनकी कप्तानी में कई बार हारी थी। हार-जीत तो खेल का अंग है। कोई टीम हमेशा नहीं जीत सकती। जब टीम विदेश में खेल रही हो तो बड़े खिलाड़ियों को उनमें जोश भरना चाहिए, न कि इस तरह के बयान देना चाहिए।

इंजीनियरिंग के छात्र गौतम घुड़गाँवकर ने कहा कि एक तरफ तो हमारी टीम को लगातार खेलने पर मजबूर किया जाता है और दूसरी तरफ हारने के लिए उनकी परफार्मेंस को दोषी माना जाता है। सचिन को संन्यास लेने की बात कहकर उन्होंने सचिन के सभी प्रशंसकों को नाराज कर दिया है। सचिन शतक जरूर बनाएँगे। अंजलि सोनवाल ने कहा- टीम इंडिया को आलोचना की परवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि अब तो यह रिटायर खिलाड़ियों का ट्रेंड बन चुका है कि एक बार हारने के बाद आलोचना करना शुरू कर दो।

अब इस पर ध्यान नहीं देते हुए उन्हें अच्छे खेल के बारे में सोचना चाहिए। साइंस स्टूडेंट सुजाता साँघी का कहना था कि सचिन यदि अच्छा नहीं खेल रहे होते तो उनकी आलोचना ठीक थी, लेकिन इस उम्र में भी वे दूसरे यंग प्लेयर्स से भी बढ़िया खेल रहे हैं। वे कई बार अपने महाशतक के करीब पहुँचकर आउट हुए हैं। उनकी आलोचना कपिल जैसे क्रिकेटर को नहीं करना चाहिए।

युवा क्रिकेटर कमलेश शाह ने कहा, विदेश में खेलना इतना आसान नहीं होता। हमारे क्रिकेटर साल के आठ महीने लगातार क्रिकेट खेलते हैं और हम हमेशा उनसे जीतने की उम्मीद लगाए रखते हैं। जीतते हैं तो उन्हें सिर पर बैठा लेते हैं और हारते हैं तो इस तरह उनकी आलोचना करते हैं। कपिल देव तो ठीक हैं, जो दूसरे क्रिकेट एक्सपर्ट्‌स हर मैच में हार के बाद जिस ढंग से आलोचना करते हैं, वो भी कहाँ तक उचित है। एमबीए स्टूडेंट लक्ष्मीकांत परिहार ने बताया कि बिना आराम दिए खिलाड़ियों को लगातार खेलने को कहा जाएगा तो यही होगा।

क्रिकेट से पैसा आता है और तमाम चैनलों पर बहस चलाने वाले पूर्व क्रिकेटरों को भी बोलने का पैसा मिलता है तो वे क्यों नहीं बोलेंगे। जरूरत है इन सब से ध्यान हटाने की। न तो ऑस्ट्रेलिया में खेल रही टीम इंडिया को न्यूज चैनल देखना चाहिए और न ही खेल प्रेमियों को कपिल देव की बकवास सुनना चाहिए। क्या कपिल की कप्तानी में कभी टीम नहीं हारी होगी या उनके प्रदर्शन में कभी गिरावट नहीं आई होगी। कपिल को अपना इतिहास याद रखना चाहिए।

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