जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश ने काफी प्रगति की है और इसके तहत विभिन्न कार्यक्रम भी चलाए गए हैं, जो आगे आने वाले वर्षों में काफी अच्छे परिणाम दे सकते हैं।
* चावल की फसल के लिए क्यूटीएल में एलेलीज की पहचान, मानचित्रण और स्थानांतरण, बीसी2 एफ4 के कृषि वैज्ञानिक मूल्यांकन। हिमालयन राई एवं देशी गेहूँ के जीनोटाइप्स को मिलाकर एक नई ट्रिटिकल लाइन विकसित की गई है, जिसे बहुत खास राई-गेहूँ ट्रांसलोकेशन प्राप्त करने के विविध स्रोतों के रूप में उपयोग किया जाएगा।
* पर्यावरण के प्रति चिंता बढ़ने के साथ ही रासायनिक खाद पर आधारित खेती की जगह कार्बनिक और अकार्बनिकों का स्रोतों मिला-जुलाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। इस संदर्भ में जैव उर्वरता उत्पादकता बढ़ाने के सस्ते, दोबारा इस्तेमाल योग्य और सुरक्षित स्रोत माने गए हैं। साथ ही जैविक/ कार्बनिक खेती के बढ़ते चलन के कारण जैव उर्वरकों की माँग काफी ज्यादा होने की उम्मीद की जा रही है।
* जैव खरपतवार नाशक तथा उपज प्रबंधक कार्यक्रम कीटों, रोगों और खरपतवार के प्रबंधन के साथ व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य प्रचुर उत्पादन प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु चलाया जाता है। कीट व खरपतवार नष्ट करने के प्रभावकारी और सस्ते जैविक तरीके विकसित कर लिए गए हैं। विभिन्न फसलों को कवक और विषाणु के प्रकोप से बचाने के लिए कई फार्मूले बना कर उनका परीक्षण भी कर लिया गया है।
* राष्ट्रीय जैव-संसाधन विकास बोर्ड अपने कार्यों के तहत जैव विविधता की प्रकृति निर्धारण, उनके आँकड़े एकत्र करने, संभावित क्षेत्रों में उनकी खोज, संसाधनों के इस्तेमाल और क्षमता निर्माण की दिशा में काम करता है। बोर्ड द्वारा पौधों, जीवाणु, फफूंद, लाइकेन के आदर्श जीन मोलिक्यूल और एनजाइम की खोज करने वाली परियोजनाओं को बढ़ावा दिया गया, ताकि इनसे औद्योगिक महत्व के उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा मिल सके।
* जिंजिबर्स और हनी बी नेटवर्क के तहत कार्यक्रम में कम इस्तेमाल होने वाले सजावटी पौधों की प्रजातियों के जैव रासायनिक और आणविक चरित्र निर्धारण परियोजना को बढ़ावा दिया गया।
* औषधीय और सुगंधित पौधों के क्षेत्र में अधिक जनन-द्रव्य अभिगमन के प्रकृति निर्धारण और संग्रह के संदर्भ में चार जीन बैंकों की क्षमताएँ बढ़ाई गईं। पिक्रोराइजा स्क्रोफ्लोरिफ्लोरा में बाहरी तत्व को बढ़ाने के लिए तेज और उच्च प्रजनन क्षमता के प्रोटोकॉल विकसित किए गए। पश्चिमी घाटों में उच्च उत्पादकता वाले नोथापोडाइटस निम्मोनियाना की ऐसी प्रजाति की पहचान की गई, जिसमें एक फीसद से भी ज्यादा कैम्प्लोथिसिन थी।
* वनस्पति जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में टिशू कल्चर पर ध्यान दिया गया, ताकि अच्छी गुणवत्ता वाले या संवर्धित जीन वाले पौधों का उत्पादन हो सके। जैव विविधता की पहचान और निर्धारण के लिए आणविक तकनीक और उत्पादों का सहारा लिया गया।
* जन्तु जैवी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पशुओं की तादाद बढ़ाने, जानवरों के लिए नए टीके विकसित करने, उनके शारीरिक परीक्षण की नई तकनीक के साथ ही देशी मवेशियों के आणविक प्रकृति निर्धारण और जानवरों से मिलने वाले अन्य उत्पादों के विकास के लिए प्रयास तेजी से चल रहे हैं।