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नया वक्त, नई जुबान : युवाओं की बदल रही है भाषा

ऋषि गौतम

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बदलते वक्त में जब जिंदगी के मायने बदल रहे हैं,जीने का अंदाज बदल रहा है,रिश्तों के मायने बदल रहे हैं,ऐसे में दोस्ती जैसे सदाबहार और अनमोल रिश्ता इससे कैसे अछूता रह सकता है।

जिंदगी के इस सफर में दोस्त बदले,दोस्ती बदली और बदल रहे हैं दोस्ती के अंदाज। इन सब के साथ एक चीज जो और बदली है ह है दोस्ती की जुबान। इस बदलती जुबान की कहानी सुनिए हमारी जुबानी....

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अगले पेज पर : नया सफर, मुलाकात एक नई भाषा से



एक नया सफर-

इंजिनियरिंग बनने का ख्वाब सजाए बिहार के एक छोटे से शहर से निकल कर इंदौर तक आने वाले चंदन की कहानी कुछ ऐसी सी है। इंदौर के एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने वाले चंदन के लिए यह नया माहौल,नए लोग,नए रंग-ढंग,नई भाषा सबकुछ बिल्कुल ही नया है।

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अपने परिवार के अरमानों और अपने सपनों के साथ जिंदगी में कुछ बड़ा करने की चाहत लिए यहां तक पहुंचने वाले चंदन को भी यह उम्मीद तो जरूर रही होगी कि इस नए शहर में भी कुछ नए दोस्त बनेंगे अपने पुराने स्टाईल वाले। लेकिन इस बात का तो उसे अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि अपने कॉलेज के फर्स्ट डे ही उसे दोस्ती के एक अनूठे रंग रूप से भी दो-चार होना पड़ेगा।

कैंपस में दोस्ती की नई लैंग्वेज-

अपनी इस नई जिंदगी के फर्स्ट डे कॉलेज पहुंचने पर गेट से अंदर आते ही दोस्ती की एक नई लैंग्वेज उसका इंतजार कर रही थी। कॉलेज गेट की एंट्री पर ही एक आवाज ने उसे चौंकाया'हे गाइज,वेलकम इन कैंपस।'

चंदन को गाय तो समझ में आया,लेकिन यह गाइज क्या है यह जानना अभी बाकी था। बातों-बातों में पता चला वे सीनियर थे जो फ्रेशर्स का वेलकम कर रहे थे। चंदन के लिए यह कॉलेज ही नहीं दोस्ती की नई लैंग्वेज की दुनिया में भी एंट्री थी। यह तो बस शुरुआत थी।

कुछ ही देर में अपने डिपार्टमेंट को ढूंढते वह रणबीर से टकरा गया। बस फिर क्या था उसने कर दी बौछार कुछ दोस्ताना संबोधनों की- इधर आजा ब्रो,क्या ढूंढ रहा है मुझसे पूछ। चंदन ब्रो तो नहीं समझ सका,लेकिन उसके लहजे से यह कोई अच्छी चीज ही जान पड़ी।

अगले पेज पर : गाली और दोस्ती



दोस्तों में गाली और गाली में दोस्ती-

अभी कैंपस में कुछ दिन बीते ही थे कि चंदन के सामने गहरी दोस्ती की लैंग्वेज का एक और रंग सामने आया। मजाक में ही एक बार रणबीर ने कहा 'यार तू भी ना पक्का कमीना है।'कई और दोस्त भी हंस दिए।

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चंदन अपनी नजरें नीची किये बगलें झांकता नजर आया। उसे समझ में नहीं आया कि गाली का जवाब पलट कर गाली में दे या मुस्कुराए। दोस्तों को इस तरह गाली देने का चलन उसके लिए एकदम नया था।

जल्दी ही वह दिन भी आ गया जब उसे अपने बीच की सारी सीमाएं टूटती दिखी। कभी जिन गालियों को सुनते ही हाथापाई की नौबत आती थी,वह गालियां दोस्त एक दूसरे के गले में हाथ डाल कर देते नजर आए।

बस चंदन को यही डर सताने लगा कि इन दोस्ताना गालियों का निशाना वह कब बनने वाला है। उसने एक दिन सकुचाते हुए रणबीर से कह ही दिया,यार यह गालियों वाली दोस्ती मुझसे नहीं चलेगी।'

रणबीर जोर से हंसा और बोला'चिलएक्स मैन,तुझे कोई नहीं देगा गाली।'बाकी सब तो समझ में आया लेकिन यह चिलएक्स फिर से फिसल गया राजीव की डिक्शनरी से।

अगले पेज पर : फेसबुकिया दोस्ती



फेसबुकिया दोस्ती

वैसे चंदन का फेसबुक अकाउंट तो पुराना था लेकिन कॉलेज आने से पहले वह उसे ऑपरेट कम ही करता था। यहां आने के बाद अब तक उसे ये तो समझ में आ चुका गया था कि फेसबुक पर ऐक्टिव होना उतना ही जरूरी है,जितना अपने ठिकाने का अता-पता होना।

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लड़का हो या लड़की सभी नाम जानने से पहले एफबी नेम जानने में इंट्रेस्ट रखते हैं। साथ पढ़ने वाले दोस्त एक दूसरे का एफबी जानते ही उसे मोबाइल पर ढूंढना शुरू कर देते हैं।

अब चंदन से उसके फेसबुक एकाउंट के बारे पूछने पर वह थोड़ा सकुचाया क्या कि इतने में ही कुछ ने तो अजीब-सी शक्ल बना कर यह भी कह डाला...वॉट.. .'क्रे'बडी तू किसी ऐप पर नहीं है क्या?'

सुनते ही राजीव सन्न, उसे नहीं पता था कि यह क्रे उस पुराने क्रेजी का कूल कनवर्जन है और तो और बडी अपने प्यारे दोस्तों के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है।

दोस्ती की दुनिया का अगला झटका उसे तब लगा जब फेसबुक पर रणबीर के पापा ने उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी। अब वह अंकल नहीं राजीव के दोस्त बन चुके हैं। मतलब साफ है,एक और डूड की फ्रेंडलिस्ट में एंट्री।

अगले पेज पर : लैंग्वेज का शॉर्टकट



दिमाग का दही बनाता लैंग्वेज का शॉर्टकट-

बात चाहे असल दुनिया की हो या साइबर दुनिया की या फिर मोबाईल की दुनिया की,अब सब जगह शॉटकट का चलन है। युवाओं के बीच अब तो बोलचाल की जुबान में भी "शॉर्टकट"का चलन बढ़ने लगा है।

लेकिन चंदन के लिए यहां इन सबसे निपटना हमेशा दिमाग को झकझोरने वाला रहा। एक बार किसी दोस्त से किसी से यूं ही पूछ दिया 'यार कैसी रही तुम्हारी नई हॉबी क्लास?' उसने पलट कर जवाब दिया,'मत पूछ डूड,आई एम हैविंग ए बीटी।'

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अब इस बीटी का मतलब क्या है, राजीव सिर खुजाता ही रह गया। वैसे आपको बताते चलें अब ओएमजी (ओह माई गॉड), लोल(लॉट्स ऑफ लाफ),बीआरबी(बी राइट बैक)जैसे शॉर्टकट पुराने जमाने की बात हो गई है। बीटी मतलब बैड टाइम। यह तो कुछ भी नहीं साइबर दुनिया में तो हाल और भी बुरा है।

एक बार किसी दोस्त ने चंदन के मोबाइल पर एक मैसेज भेजा जिसे देख कर उसे समझ में नहीं आया कि वह उसका क्या जवाब दे। लिखा था,'तुम क्या कर रहे हो एमएमबी।'

जब उसने जवाब नहीं दिया तो अगला मैसेज आया,'सीटीएन'?

चंदन ने दिमाग दौड़ाया,लेकिन उसे समझ नहीं पाया कि एमएमबी का मतलब है,मेसेज मी बैक और सीटीएन का मतलब कान्ट टॉक बैक है।

वैसे चंदन के लिए यह आखिरी झटका नहीं था,एक दिन रणबीर ने कैंपस में उसे टाइट झप्पी दी और प्यार से बोला,'बडी यू आर माई बीएफएफ,अब ये क्या है ?अरे यार बेस्ट फ्रेंड फॉरएवर मैन।'

अगले पेज पर : डार्लिंग-डार्लिंग



साला मैं तो डार्लिंग बन गया...

एक दिन साथ पढ़ने वाली लड़कियों ने कुछ ऐसा कहा कि चंदन शर्म से लाल होने लगा। सौदामिनी नाम की एक लड़की को जब उसने दो दिन पुराने नोट्स दिए,तो उसने स्माइल करते हुए कहा,'हे चंदन डार्लिंग,यू आर माई क्यूटी।'चंदन को कुछ समझ नहीं आया बस उसकी सूई डार्लिंग पर ही अटक गई।

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बड़ा ही पर्सनल समझा जाने वाला यह शब्द इस तरह कई दोस्तों के सामने सुनने का उसका यह उसका पहला अनुभव था। लड़की दोस्त के मुंह से डार्लिंग सुन कर शायद उसका गला कुछ सूख गया था और वह थैंक्यू भी नहीं कह सका।

अगले पेज पर जानिए कुछ और ऐसी ही फन लैंग्वेजेज को-


BT- बैड ट्रिप,बुरा समय गुजारने का कड़वा अनुभव।

TP- सही समझे,टाइम पास,मतलब निठल्ले बैठने का दूसरा नाम।

BRO- ब्रदर का शॉर्टफॉर्म,हिंदी में कहें तो भाई।

CRAY- क्रेजी का कूल फॉर्म। कुछ अजीब करने पर अजीब-सा मुंह बना कर इसे कहने का अलग ही मजा है।ळ

कल्टी- कुछ गलत हो जाने पर धीमे से खिसकने का कूल अंदाज।

चेप मत बन- सतर्क रहें दोस्ती में ज्यादा करीब आने पर कोई आपको चेप बोल सकता है। हिंदी में समझें तो पुराना चिपकू का कूल अंदाज है चेप।

फील आ गई- जब कुछ बहुत अच्छा लगे तो बस इतना कहना ही काफी है। मतलब - बहुत अच्छा लगा यार।

चिलैक्स- चिल और रिलैक्स को मिला कर बना है चिलैक्स- मतलब ठंड रख भाई।

अगले पेज पर : अब भी नहीं बदली, रिश्ते की गर्माहट


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दोस्ती के यह नए अंदाज,नए मिजाज,नए रंग और नई भाषा बदलाव की सिर्फ एक छोटी सी झलक भर है। दोस्तों और उनकी दोस्ताना लैंग्वेज से गुजरना चंदन के लिए दोस्ती के नए कोर्स की तरह था। भले चंदन को दोस्ती की इस नई लैंग्वेज को समझने के लिए अक्सर गहरे दिमागी गोते लगाने पड़ रहे हैं लेकिन दोस्ती के साथ इसकी लैंग्वेज भी गहरी होती जा रही थी।

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साथ ही दिन ब दिन युवाओं के बीच इस तरह की नई लैंग्वेज का विस्तार भी होता जा रहा है। इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि आज दोस्ती की भाषा भले बदल गई है,उसका अंदाज भी बदल गया है लेकिन एक चीज जो अब भी नहीं बदली,वह है इस रिश्ते की गर्माहट। दोस्ती के इस रिश्ते और इसकी भाषा की खूबसूरती ही यह है कि यह हर दोस्त के लिए अलग-अलग होती है जो कई बार बदलती है और कई बार तो बिगड़ती भी है लेकिन इस रिश्ते की मिठास कभी नहीं बदलती।

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समाप्त




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