मानवता के मुँह पर तमाचा जड़ने वाली एक के बाद एक होती गैंग रेप की शर्मनाक घटनाएँ और उन पर पुलिस प्रशासन के गोलमोल जवाब, जिसने महिलाओं की सुरक्षा में सेंध लगाने के साथ ही मानवता के भी चिथड़े उड़ाकर रख दिए हैं।
बेटमा से आरंभ हुई बलात्कार की शृंखला ने हर शहर को चर्चा और बहस की गर्माहट से भर दिया है। उसके बाद तो जैसे हर दिन किसी नए कांड के की दुर्गंध की खबरें अखबार में छाने लगीं। हर कांड के साथ जुड़ी कोई कहानी, उस कहानी में बदलते महिलाओं के किरदार और नारी जिस्म के भूखे भेड़ियों की दरिंदगी की इंतेहा जिसने बालिग, नाबालिग और विवाहित से लेकर मूक-बधिर व मंद बुद्धि युवतियों तक को अपना शिकार बनाया। कभी न खत्म होने वाले बलात्कार के मामलों की इस लंबी फेहरिस्त में कई नए तारे जुड़ते गए और कहानी भयानक बनती गई।
नारी की कोमल देह जब नग्न की गई तो इनका चीरहरण करने के लिए गुड़
अब वक्त आ गया है आमजन को खुलकर अपनी आवाज उठाने का। जब हम लोग घरों से निकलकर सड़कों पर आकर इन घटनाओं के विरोध में प्रदर्शन करेंगे तो जनता की माँग के आगे कानून भी सजग होगा और प्रशासन मुस्तैद
पर भिनभिनाने वाली मक्खियों की तरह एकसाथ दर्जनों अत्याचारियों का झुंड आ गया, लेकिन वहाँ एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं आया जो इन नारियों की करूण पुकार सुनकर उनकी लाज बचा सके। इसके पीछे एकमात्र कारण है- डर, खौफ, आतंक, द्वेष व स्वार्थी रवैया, जिसने इंसान की मानवता का गला घोटकर उसे या तो हैवान बना दिया या अपने से मतलब रखने वाला स्वार्थी पुरुष। यह कलयुगी महाभारत है।
इसमें एक के आंतक के सामने सौ लोग कमजोर हैं। 10 फरवरी को बेटमा में दो युवतियों के साथ सामूहिक बलात्कार, 8 फरवरी को देपालपुर के निकट मूक-बधिर महिला के साथ सामूहिक बलात्कार, 18 फरवरी को खजराना क्षेत्र में मंदबुद्धि युवती के साथ बलात्कार, 22 फरवरी को लसूड़िया थाना क्षेत्र में महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और 24 फरवरी को नोएडा में नाबालिग युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना। बलात्कार के ये कुछ ऐसे मामले हैं, जो अपनी अमानवीयता के कारण इतिहास के पन्ने पर सालों तक अंकित रहेंगे और इससे उपजा कलंक का दाग सालों तक किसी की बेटी, बहन, पत्नी या माँ कहलाने वाली नारियों के माथे पर उलाहना के रूप में रहेगा।
हमारे मानवीय मूल्यों का खत्म होना ही बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के पीछे मुख्य कारण है। ऐसा मानने वाले निखार गर्ग के अनुसार अब जरूरत है समाज को अपनी संकुचित विचारधारा को बदलकर अन्याय व अपराध के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने की। आज भी हमारे यहाँ बलात्कारियों के बजाय बलात्कार से पीड़ित महिला को हेय दृष्टि से देखा जाता है तथा समाज में उसका तिरस्कार किया जाता है। एडवोकेट जेपी भट्ट बलात्कार के बढ़ते मामलों की एक मुख्य वजह महिलाओं की चुप्पी को भी मानते हैं।
इसके चलते वह एक बार नहीं, बल्कि बार-बार बलात्कार की शिकार होती है। अक्सर यह देखा जाता है कि परिवार, समाज, रिश्ते व प्रथाओं की बंदिशों के कारण महिलाएँ चुप्पी साध लेती हैं और ऐसे अपराधियों को खुला घुमने का मौका देती है, जो आए दिन इस तरह के दुष्कृत्यों को अंजाम देकर एक के बाद एक कई महिलाओं को अपना शिकार बनाते हैं। मेरी मानें तो बलात्कार के मामले में पीड़िता को खुलकर सामने आना चाहिए, ताकि उसे सही समय पर उचित न्याय मिल सके। इसी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए पूजा शर्मा ने पुलिस महकमे पर बलात्कार के बढ़ते मामलों का दोषारोपण कर दिया। पूजा के अनुसार हमारे यहाँ आमजन में जब तक कानून व पुलिस की सख्ती का डर नहीं रहेगा, तब तक ऐसे मामले सामने आते जाएँगे।