युवा बचें साइबर बेवफाई से......
युगों से दुनिया इस बेवफाई से परेशान रही है,लेकिन तकनीक के विकास ने इस परेशानी को और ज्यादा बड़ा बना दिया है। साइबर संबंधों की लोकप्रियता ने वर्चुअल बेवफाई का एक नया समाजशास्त्र रचा है। कुछ लोग इस वर्चुअल बेवफाई या वर्चुअल एडल्टरी भी कहते हैं।दरअसल,कुछ लोग ऑन लाइन अफेयर या साइबर दोस्ती को महज खेल मानकर करते हैं। वह मानते हैं यह वास्तविक नहीं है सिर्फ तफरीह के लिए है जिससे कोई नुकसान नहीं होता,लेकिन शोधकर्ता विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं हैं। ताजा शोधों के अनुसार न सिर्फ टीन एज बल्कि कुछ विवाहित लोग भी साइबर दोस्ती में गंभीर हो जाते हैं। यही वजह है कि साइबर दोस्ती के चलते उन समाजों में जहां इंटरनेट लाइफ स्टाइल का हिस्सा बन गया है,तलाक के मामले बढ़ गए हैं। आज अधिकांश तलाकों के पीछे यही साइबर दोस्ती खलनायिका बनी खड़ी होती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में यह और भी खतरनाक साबित हो सकती है,क्योंकि अभी भी इंटरनेट का इस्तेमाल करने से लोगों की एक बड़ी संख्या वंचित है। यही नहीं,अभी भी इंटरनेट कल्चर में जन्मे और रचे-बसे तथा उसे एक लाइफ वैल्यू की तरह लेने वालों का प्रतिशत उन लोगों से कम है,जो ऐसा नहीं करते। विशेषज्ञों का मानना है कि जब ज्यादातर लोगों की जिंदगी का निर्धारक इंटरनेट बन जाएगा तब यह वास्तविक जीवन में कहीं और ज्यादा हस्तक्षेप करने वाला साबित होगा। चिंताजनक बात यह है कि दुनिया इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। इसकी वजहों में सबसे बड़ी वजह यह है कि आज इंटरनेट बहुत ही आसानी से उपलब्ध है। इसमें गुमनाम रहने की भी सुविधा है, इसलिए आज साइबर दोस्ती के जरिए आसानी से बेवफाई की जा सकती है। वास्तविक दुनिया में भी ललचाने वाले क्षणों की कमी नहीं, लेकिन साइबर संसार तो इसकी खान बन गया है,लोग पोर्न को लॉग ऑन कर सकते हैं,अपने आपको डेटिंग वेबसाइटों पर सिंगल के तौर पर लिस्ट कर सकते हैं। दोस्ती के नाम पर यही सब हो भी रहा है।