प्यार महज दो दिलों में धड़कता अहसास नहीं, प्यार वह है जिसकी कशिश मरते दम तक साथ रहती है। इस अनूठे बंधन को लेखक निकोलस स्पार्क्स ने अपने उपन्यास द नोटबुक में खूबसूरती के साथ दर्शाया है। यह कहानी शुरू होती है 80 साल के एक व्यक्ति से, जिसके हाथ में एक नोटबुक है। वह अस्पताल में एक मरीज को नोआह और एली की कहानी सुनाता है। 29 साल की एली 14 साल बाद नोआह से मिलती है। दो दिन साथ गुजारने पर उन्हें लगता है कि वे एक-दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करने लगे हैं।
एली की माँ नहीं चाहती कि वो गरीब नोआह से मिले, इसलिए वह उसका कोई खत एली तक नहीं पहुँचने देती। अब उन सब खतों को पढ़ने के बाद एली को अपने मंगेतर और नोआह में से एक को चुनना है। वह किसे चुनती है, और यह कौन है, जो अल्जाइमर्स से पीड़ित एली को कहानी सुनाने चला आता है। इन सवालों के जवाब देती है नोटबुक। इस उपन्यास को पढ़ने से प्यार के बेहद पक्के और सच्चे रंग का पता चलता है।