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विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (भाग 2)

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मई 1971 में स्थापित विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग का उद्देश्य नए क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना और देशभर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ी गतिविधियों के आयोजन, समन्वय तथा प्रोत्साहन के लिए नोडल विभाकी भूमिका अदा करना है। इतने वर्षों के दौरान विभाग नीति संबंधी प्रपत्र तथा दिशा-निर्देश बनाए हैं। विभाग ने विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के उन क्षेत्रों में समन्वय प्रणाली स्थापित की है, जिनमें अनेक संस्थानों की दिलचस्पी है और क्षमता है तथा वैज्ञानिक संस्थाओं और व्यावसायिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की है।

अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम
विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) विज्ञान तथा अभियांत्रिकी के क्षेत्रों में विभिन्न विषयों में अग्रणी व प्राथमिकता वाले अनुसंधान व विकास क्षेत्रों का पता लगाने व उन्हें बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। यह कार्य विज्ञान एवं अभियांत्रिकी अनुसंधान परिषद (एसईआरसी) के माध्यम से किया जाता है, जो एक ऐसी सलाहकार संस्था है, जिसमें आईआईटी, विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं तथा उद्योगों के विख्यात वैज्ञानिक व तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं। प्रत्येक वर्ष विभाग को लगभग 1000 अनुसंधान प्रस्ताव प्राप्त होते हैं, जिनमें से अधिकांश मूलभूत विज्ञान व अभियांत्रिकी अनुसंधान की श्रेणी में आते हैं।

नैनोविज्ञान और प्रौद्योगिकी के उभरते हुए अंतर्विषयक क्षेत्र के महत्व को ध्यान में रखकर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम नैनोमैटिरियल्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी इनीशिएटिव की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम में नैनोविज्ञान और प्रौद्योगिकी के संपूर्ण शोध और विकास कार्य पर काफी जोर दिया जाता है, ताकि भारत इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके और नई प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान कर सके। भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगाँठ के अवसर पर सरकार ने स्वर्ण जयंती शोधवृत्ति योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य प्रतिभावान युवा वैज्ञानिकों को विज्ञान में विश्वस्तरीय क्षमता हासिल करने में मदद करना है। यह फैलोशिप 30-40 वर्ष की आयु वर्ग वाले ऐसे भारतीय वैज्ञानिकों के लिए है, जिन्होंने अनुसंधान के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है और अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छुआ है।

आधारभूत ढाँचे का विकास
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग अपने विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए अनुसंधान और विकास की नई सुविधाओं को स्थापित करने और मौजूदा सुविधाओं को बेहतर बनाने में सहयोग देने में उत्प्रेरक का काम कर रहा है। उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के कार्यक्रम से विज्ञान और अभियांत्रिकी के चुनिंदा क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं और अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करने में मदद मिली है।

शैक्षिक/अनुसंधान संस्थानों में अनुसंधान व अध्यापन की बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक नया कार्यक्रम फंड फार द इम्प्रूवमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर इन यूनिवर्सिटीज एंड अदर हायर एजुकेशनल इंस्टीट्‌यूशंस आरंभ किया गया है। इसके तहत प्रयोगशालाओं को बेहतर बनाने के लिए उपकरण, कम्प्यूटर नेटवर्किंग, पुस्तकालय आदि सुविधाएँ दी जाती हैं। सक्रिय विश्वविद्यालय/शैक्षिक विभाग की पहचान सहकर्मी पुनरीक्षण प्रक्रिया द्वारा की जाती है।

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