कभी-कभी जो दिखता है वह होता नहीं है, और जो होता है वह दिखता नहीं। अमीश त्रिपाठी की शिव-त्रयी का दूसरा उपन्यास द सीक्रेट ऑफ द नागाज एक ऐसे ही रहस्यमय साम्राज्य से परिचय कराता है, जहाँ हर चीज़ ने मुखौटे पहने हैं और हर जगह कोई गहरा राज़ छिपा है। मेलुहा के मृत्युंजय के अंत से इस उपन्यास का आगाज़ होता है। नागाज सती पर हमला बोल देते हैं और मेलुहा के रक्षक शिव अपनी पत्नी को बचाने में कामयाब होते हैं।
नागाज जाते-जाते एक सिक्का छोड़ जाता है और उस सिक्के के दम पर शिव नागाज का रहस्य पता करने के लिए निकल पड़ते हैं। सती कार्तिक को जन्म देती है। एक अनोखे युद्ध में सती की रक्षा करने के लिए नागाज के सैनिक आ जाते हैं और यहीं मुलाक़ात होती है सती की अपने पुत्र गणेश और बहन काली से। यह नागा की रानी काली इस रहस्य को सुलझाती है या और उलझनें खड़ी करती हैं? उपन्यास को दो शब्दों में कहा जाए तो यह एक रोमांचक यात्रा है।