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सोशल नेटवर्किंग पर सेंसरशिप?

- गायत्री शर्मा

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सोशल नेटवर्किंग ने वैश्विक पटल पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अत्याधुनिक अस्त्र देकर हमारे विचारों के आकाश को अनंत बना दिया है। अब हमारे पास टि्‌वटर, फेसबुक, गूगल प्लस, ऑर्कुट जैसी कई ऐसी सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स हैं, जिनके जरिए हम हजारों लोगों से एकसाथ संपर्क स्थापित कर उन तक अपने विचार पहुँचा सकते हैं। ऐसे में दुनियाभर के लाखों-करोड़ों लोगों को जोड़ने वाली इन साइटों पर कुछ आपत्तिजनक व अरुचिकर कंटेंट मिलना एक आम इंटरनेट यूजर्स के लिए बहुत सहज है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि इसे मुद्दा बनाकर उसके खामियाजे के रूप में देश के करोड़ों इंटरनेट यूजर्स से उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार ही छीन लिया जाए?

जनता जर्नादन जब अपने हक के लिए आवाज उठाती है। तब दुनिया का बड़े से बड़ा तानाशाह भी अपने घुटने टेकने को विवश हो जाता है और रातों-रात सत्ता के तख्ते पलट जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि जनता के पक्ष को प्रबलता से प्रस्तुत करने में सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यदि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की ही बात करें तो 121 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश में लगभग ढाई करोड़ लोग फेसबुक और 10 करोड़ लोग गूगल के माध्यम से इंटरनेट से जुड़े हैं।

बात राजनीति की हो या खेल जगत की, भ्रष्टाचार की हो या महँगाई की... हर मुद्दे को लेकर समय-समय पर आमजन एवं सरकार ने सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स के माध्यम से बड़ी ही बेबाकी से अपना पक्ष प्रस्तुत किया है। आपको ज्ञात होगा कि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया की कई बड़े आंदोलनों को उपजाने तथा अंजाम तक पहुँचाने में इन साइट्‌स का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। क्रांति चाहे मिस्र की हो या अण्णा का आंदोलन हो, ट्‌यूनीशिया के चुनाव की हो या फिर गद्दाफी की खिलाफत हो... हर मुद्दे पर आमजन के विद्रोह के स्वर को मुखरित करने में इन साइट्‌स का अविस्मरणीय योगदान रहा है। ऐसे में करोड़ों इंटरनेट यूजर्स वाले इस देश में सोशल नेटवर्किंग साइट पर किसी भी तरह की नकेल कसना एक प्रकार से देश की नब्ज को रोकने के समान है।

सरकार की नैया बीच भँवर में
सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स पर सेंसरशिप की नकेल कसने के कपिल सिब्बल के बयानों के जाल में अब वह स्वयं ही उलझते नजर आ रहे हैं। जहाँ एक ओर कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल गूगल, फेसबुक और टि्‌वटर पर नकेल कसने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विरोधाभास के रूप में राहुल गाँधी गूगल की टेक्नोलॉजी के जरिए युवा कांग्रेस का कायाकल्प करना चाहते हैं। आज हमारे देश के दूरसंचार मंत्री धर्म व राजनीति के बारे में अश्लील तथा भड़काऊ सामग्री की आड़ लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स पर शिकंजा कसने की बात कह रहे हैं, परंतु अपनी सरकार बचाने की हड़बड़ी व बौखलाहट में वे इस बात को भूल गए हैं कि जिस देश में करोड़ों लोग इंटरनेट से जुड़े हैं, उस देश में गूगल, टि्‌वटर, फेसबुक आदि पर लगाम कसना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है। आपकी जानकारी के लिए आज विश्व के 80 करोड़ यूजर्स फेसबुक और 20 करोड़ यूजर्स टि्‌वटर से जुड़े हैं।

युवाओं के विचार
सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स हमें अपने दोस्तों से जोड़े रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इन साइट्‌स पर किसी भी तरह की लगाम लगाना अनुचित है। सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स पर जनता की आवाज को अनसुना कर कोई भी लोकतांत्रिक सरकार नहीं चल सकती है। यदि किसी को इन साइट्‌स पर डाले गए व्यक्ति विशेष के कमेंट या कंटेट से आपत्ति है तो इसके लिए वह चाहे तो कानून की शरण ले सकता है। -परीक्षित तिवारी

फेसबुक व टि्‌वटर पर कई बार हमें कुछ आपत्तिजनक कंटेट देखने को मिल जाते हैं। समझदार इंटरनेट यूजर तो उसे इग्नोर कर देता है, पर बेवकूफ लोग इस बात को मुद्दा बनाकर बहस शुरू कर देते हैं। जैसा कि कपिल सिब्बल ने किया। यदि इन साइट्‌स को कड़े कायदे-कानून के बँधनों में बाँध दिया गया तो इससे हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी। -अंजलि जैन

अण्णा की अगस्त क्रांति
दिल्ली के रामलीला मैदान में अण्णा हजारे के 13 दिनों तक चले अनशन को आंदोलन का स्वरूप देकर दुनियाभर में प्रचारित करने में टि्‌वटर और फेसबुक का अविस्मरणीय योगदान रहा। अण्णा के अनशन के दौरान 19 अगस्त तक 3 लाख 1 हजार 952 लोगों ने फेसबुक पर इंडिया अंगेस्ट करप्शन को पसंद किया था व आज इन यूजर्स की संख्या 5 लाख, 45 हजार, 8 तक पहुँच चुकी है। टि्‌वटर पर वर्तमान में जनलोकपाल के फॉलोअर्स की संख्या 1 लाख 84 हजार 999 तक पहुँच चुकी है। अण्णा आंदोलन के दौरान प्रति 0.09 सेकंड के अंतराल पर अण्णा को गूगल सर्च पर कम से कम 1 करोड़ 38 लाख बार सर्च पर खोजा गया।

इजिप्ट की क्रांति
अब कहने, सुनने की बजाय कुछ कर दिखाने की जरूरत है। मैं 25 जनवरी को तहरीर चौक पर जाऊँगी और अकेली बैनर थामे खड़ी रहूँगी....। हुस्नी मुबारक की सत्ता के खिलाफ अपने दिल में उठती विद्रोह की अग्नि को विकराल रूप देने के लिए इजिप्ट की अस्मा ने फेसबुक का सहारा लिया। देखते ही देखते उनकी इस पहल ने एक आंदोलन का रूप ले लिया। पहली बार किसी शासक के खिलाफ लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे थे। तहरीर स्क्वेयर पर जमा 10 लाख से अधिक लोगों का वो हुजूम आज भी उस दिन का साक्षी है, जब लगातार 18 दिनों तक तेहरीर स्क्वेयर पर जमा होती जनता की भीड़, उनकी जिद व विद्रोह के चलते इजिप्ट के शासक को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

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* मैं ऐसा तानाशाह नहीं हूँ, जो फेसबुक को बंद करा दूँ, परंतु यदि किसी ने फेसबुक पर लॉग इन भी किया तो मैं उसे नहीं बख्शूँगा। -मुअम्मर मोहम्मद अबू मिनियार गद्दाफी (लीबिया का पूर्व शासक)

हम अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहते हैं, पर हम इस बात की खास चिंता नहीं करते कि हम इस अधिकार का प्रयोग कैसे करते हैं? - उमर अब्दुल्लाह

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* यंग जनरेशन की जान कही जाने वाली सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक की शुरुआत 4 फरवरी 2004 को मार्क जुकरबर्ग ने की थी।

* आम और खास की आवाज कहे जाने वाले टि्‌वटर को जैक डोर्सी, इवान विलियम्स, ब्रिज स्टर्न ने वर्ष 2006 में आरंभ किया था।

भारत चौथे स्थान पर
अरब देशों में अखबारों से अधिक लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स हैं, जिनकी यूजर्स संख्या अखबारों के पाठकों से कई गुना अधिक है। सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के यूजर्स की कुल संख्या को देखते हुए भारत दुनिया में 4 थे स्थान पर है। फेसबुक के सबसे अधिक यूजर्स अमेरिका में हैं।

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