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हममें है जीत का जज्बा

- गायत्री शर्मा

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काया चाहे कोमल हो, लेकिन इस आवरण में छिपी है एक ऐसी मूरत, जिसकी नसों में
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संस्कारों का रक्त है और इरादों में फौलाद-सी ताकत। आँखों में कामयाबी की चमक है। इस नई होती स्त्री ने स्वयं अपने बूते पर कामयाबी हासिल की है। ये सफल महिलाएँ हमारे आसपास की साधारण महिलाएँ ही हैं, लेकिन अपने हूनर से इन्होंने असाधारण कामयाबी की इबारतें लिखी हैं। वूमन्स डे पर इन्हें सलाम।


औरत का जिक्र आते ही हमारे जेहन में प्रेम, स्नेह, मर्यादा और लज्जा की चादर में लिपटी सौंदर्य से अभिपूरित स्त्री की छवि साकार हो जाती है। क्या वाकई में यही स्त्री है या फिर इससे परे भी उसका कोई वजूद है? समय की करवट को भाँपते हुए नारी ने रूढ़ियों की बेड़ियों को तोड़कर अपने आत्मविश्वास और हूनर के बूते पर समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर इन आम महिलाओं ने अपने बुलंद हौसलों व अदम्य साहस से सफलता की ऊँचाइयों को छुआ है और न केवल अपना वर्तमान सँवारा है, बल्कि अपना स्वर्णिम भविष्य भी गढ़ा है। इनकी सफलता की कहानियाँ औरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। औरत जीवन के रंगमंच का एक ऐसा चेहरा है, जो अलग-अलग किरदारों में ढलकर अपने हूनर व खूबियों से हर किरदार को जीवंत बना देता है। पुरुष चाहे आज सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचकर अपनी कामयाबी का डंका बजा रहा है, लेकिन उसकी यह कामयाबी भी औरत की ही बदौलत है।

माँ के रूप में संतान को संस्कारों से पोषित कर, हमराही बन साथ चलकर या प्रेरणास्रोत बनी। जीत का अलख जगाकर सदा से औरत ने ही पुरुष को सफलता का गुरुमंत्र दिया है। पुरुषों की कामयाबी की वजह बनने के साथ ही आज औरत स्वयं भी सफलता के सम्माननीय मुकाम तक जा पहुँची है। आज महिलाओं की कामयाबी की गौरवगाथा का गुणगान दुनियाभर में हो रहा है। हमें गर्व है उन महिलाओं पर, जिन्होंने अपनी अनूठी कार्यशैली से यह सिद्ध कर दिया कि सफलता केवल पुरुषों की ही बपौती नहीं है।

आजकल की महिलाएँ भी सफलता पाने का माद्दा रखती हैं। ऐसी सभी महिलाओं को नमन करते हुए प्रस्तुत है विविध क्षेत्रों में कामयाब महिलाओं की अब तक के सफर की चमकदार कहानी-

सशक्त कवयित्री
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दिल्ली की कवयित्री अनामिका साहित्य के क्षेत्र का एक ऐसा नाम है, जो शोहरत का मोहताज न होकर अपनी लेखनी से माँ सरस्वती की सच्ची साधना में लीन है। स्त्री संघर्ष, विस्थापन का दर्द, मजदूर स्त्री के जीवन के उतार-चढाव का प्रकृति के समानांतर चित्रण कर अनामिका ने अपनी कलम से स्त्री जीवन की कहानी के मार्मिक पक्षों का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया है। दूब धान (काव्य संग्रह, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन), दस द्वारे का पिंजरा (उपन्यास, राजकमल प्रकाशन) और खुरदुरी हथेलियाँ (काव्य संग्रह, राजकमल प्रकाशन) आदि उनकी उल्लेखनीय पुस्तकें हैं। उन्हें राष्ट्रभाषा परिषद सम्मान, महादेवी पुरस्कार, साहित्यकार सम्मान आदि से नवाजा जा चुका है।

साहस को सैल्यूट
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चारों तरफ गोलियों की गूँज। एक ओर डकैत तो दूसरी ओर पुलिस। अक्सर फिल्मों में दिखाए जाने वाले ऐसे दृश्य की कल्पना मात्र ही हमारे रोंगटे खड़े कर देती है। ऐसे ही खौफनाक दृश्य की साक्षी बनी एक जाँबाज महिला पुलिस ऑफिसर, जिसने ऐसी कठिन परिस्थिति में कायर बन भागने की बजाय गोली का जवाब गोली से देते हुए इस एनकाउंटर में एक कुख्यात इनामी डकैत बालकदास काछी को मौत की नींद सुला दिया।

हम बात कर रहे हैं मप्र पुलिस विभाग में अपनी सेवाएँ दे रही श्रीमती रुचिता चतुर्वेदी की। वे जबलपुर में महिला थाना प्रभारी के पद पर पदस्थ हैं। रुचिका को प्रदेश में ऐसी पहली महिला पुलिस ऑफिसर बनने का गौरव हासिल हुआ। उन्हें डकैत को मारने के साहसिक कार्य के लिए पुलिस विभाग में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला। जिस वक्त यह एनकाउंटर हुआ, उस समय रुचिका टीकमगढ़ जिले के पलेरा में थाना प्रभारी व उपनिरीक्षक दोनों कार्यभार सम्हाल रही थीं। रुचिका ने जिस डकैत को मारने का साहसिक कार्य किया था, उस पर 15 से अधिक आपराधिक प्रकरण दर्ज थे। इसमें 302 के कई मुकदमे भी थे।

हौसले और बेहतरीन खेल की मिसाल
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एक मजदूर की बेटी आज ताईक्वांडों की नेशनल चैंपियन है। हम बात कर रहे हैं इंदौर की ताईक्वांडों खिलाड़ी आरती खकाल की। आरती ने आर्थिक तंगी व तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद अपने हौसले व बेहतरीन खेल प्रदर्शन के बूते पर देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आरती के पिता पहले हुकूमचंद मिल में मजदूर थे। मिल बंद होने के बाद अब वे लोडिंग रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। ताईक्वांडों की नेशनल चैंपियनशिप में लगातार तीन वर्षों से स्वर्ण पदक जीतने वाली आरती ने गत वर्ष झारखंड में हुए राष्ट्रीय खेल में रजत पदक प्राप्त किया था।

अपने बेहतरीन खेल प्रदर्शन से ओलिंपिक के क्वालिफाई राउंड में अपना स्थान सुरक्षित करने वाली आरती केवल एक प्वाइंट के अंतर से ओलिंपिक में शिरकत करने से वंचित रह गई। फिलहाल वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ विएतनाम में होने वाली एशियन चैंपियनशिप की तैयारियों में भी जुट गई है। अब उसका मकसद एशियन चैंपियनशिप के साथ ही आगामी ओलिंपिक में अपना स्थान सुनिश्चित करना भी है। अपनी इस कामयाबी का श्रेय आरती अपने माता-पिता व कोच को देती हैं।

फोर्ब्स की सूची में एशिया की बिजनेस वूमन
* चंदा कोचर (आईसीआईसीआई बैंक, एमडी व सीईओ)
* एकता कपूर (टीवी व फिल्म प्रोड्‌यूसर)
* विनिता बाली (मैनेजिंग डायरेक्टर, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज)
* शोभना भरतिया (एचटी मीडिया चेयरमैन एवं एडीटोरियल डायरेक्टर)

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