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मैं हूँ आज की नारी

आत्मविश्वास मेरी पहचान

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गायत्री शर्मा

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आज की नारी का सफर चुनौतीभरा जरूर है, पर आज उसमें चुनौतियों से लड़ने का साहस आ गया है। अपने आत्मविश्वास के बल पर आज वह दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना रही है। आज की नारी आर्थिक व मानसिक रूप से आत्मनिर्भर है।

परिवार व अपने करियर दोनों में तालमेल बैठाती नारी का कौशल वाकई काबिले तारीफ है। किसी को शिकायत का मौका नहीं देने वाली नारी आज अपनी काबिलीयत व साहस के बूते पर कामयाबी के मुकाम तक पहुँची है।

  चुनौतियों का हँसकर स्वागत करने वाली महिलाएँ आज हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं। कल तक भावनात्मक रूप से कमजोर महिलाएँ आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं तथा अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण फैसले स्वयं कर रही हैं।      
* मैं हूँ ना :-
शादी के पहले आत्मनिर्भर रहने वाली नारी के जीवन में शादी के बाद अचानक बदलाव-सा आ जाता है। अब उसके लिए अपना करियर व परिवार दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। इस वक्त यदि करियर के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा तो भविष्य अंधकारमय हो सकता है और यदि परिवार की उपेक्षा की तो दांपत्य जीवन।

नारी को अपने करियर संबंधी किसी भी निर्णय को लेने से पहले बहुत सोचना-समझना पड़ता है। परिवार के प्रति उसके द्वारा थोड़ी-सी भी कोताही बरतने पर परिवार के सदस्यों की शिकायतें शुरू हो जाती हैं और उस पर कटाक्ष किए जाने लगते हैं। ऐसे में परिवार और कार्यालय में स्वयं को बेहतर सिद्ध करने की वह हरसंभव कोशिश करती है और आदर्श बनकर सबका दिल जीत लेती है।

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* असुरक्षा की भावना :-
नारी के साथ असुरक्षा की भावना हर जगह होती है। महानगरों में आए दिन होती छेड़छाड़, बलात्कार व हिंसा संबंधी घटनाएँ नारी को भयाक्रांत करने व अपने कदम पीछे लेने को मजबूर करती हैं परंतु उनका मजबूत मनोबल उसे हारने से रोकता है और उसका यही मनोबल निरंतर आगे बढ़ने को प्रेरित करता है।

नारी के लिए लैंगिक के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक स्तर पर भी असुरक्षा की भावना होती है। सामाजिक स्तर पर परित्यक्ता व विधवा जैसे शब्द उसके मार्ग का रोड़ा बनकर उसे आगे बढ़ने से रोकते हैं पर इतने पर भी वह अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का सही मौका तलाश ही लेती है और कामयाबी के नित नए कीर्तिमान रचती जाती है।

* हम किसी से कम नहीं :-
चुनौतियों का हँसकर स्वागत करने वाली महिलाएँ आज हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं। कल तक भावनात्मक रूप से कमजोर महिलाएँ आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं तथा अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण फैसले स्वयं कर रही हैं।

अपनी क्षमताओं से महिलाओं ने आज पुरुषों को पीछे छोड़ते हुए परिवार व समाज में एक अलग पहचान बनाई है। आत्मनिर्भर बनकर आज महिलाएँ बाजार की हर चुनौतियों का सामना कर रही हैं।

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