Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

महिला अधिकारों का हनन और कानून

अनुपा

Advertiesment
हमें फॉलो करें महिला अधिकारों का हनन
सामाजिक तौर पर महिलाओं को त्याग, सहनशीलता व शर्मीलेपन का ताज पहनाया गया है, जिसके भार से दबी महिला कई बार जानकारी होते हुए भी इन कानूनों का उपयोग नहीं कर पातीं तो बहुत केसों में महिलाओं को पता ही नहीं होता कि उनके साथ हो रही घटनाएं हिंसा हैं और इससे बचाव के लिए कोई कानून भी है। आमतौर पर शारीरिक प्रताड़ना यानी मारपीट, जान से मारना आदि को ही हिंसा माना जाता है और इसके लिए रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाती है।

ND


इसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 498 के तहत ससुराल पक्ष के लोगों द्वारा की गई क्रूरता, जिसके अंर्तगत मारपीट से लेकर कैद में रखना, खाना न देना व दहेज के लिए प्रताड़ित करना आदि आता है, के तहत अपराधियों को 3 वर्ष तक की सजा दी जा सकती है, पर शारीरिक प्रताड़ना की तुलना में महिलाओं के साथ मानसिक प्रताड़ना के केस ज्यादा होते हैं।

मनपसंद कपड़े न पहनने देना, मनपसंद नौकरी या काम न करने देना, अपनी पसंद से खाना न खाने देना, बालिग व्यक्ति को अपनी पसंद से विवाह न करने देना या ताने देना, मनहूस आदि कहना, शक करना, मायके न जाने देना, किसी खास व्यक्ति से मिलने पर रोक लगाना, पढ़ने न देना, काम छोड़ने का दबाव डालना, कहीं आने-जाने पर रोक लगाना आदि मानसिक प्रताड़ना है।

webdunia
ND


आमतौर पर एक सीमा तक महिलाएं इसे बर्दाश्त करती हैं, क्योंकि परंपरा के नाम पर बचपन से वे यह देखती सहती आती हैं, लेकिन घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 इन स्थितियों में भी महिला की मदद करता है। खास बात यह है कि घरेलू हिंसा अधिनियम में सभी महिलाओं के अधिकार की रक्षा की संभावना है।

इसके तहत विवाहित महिला के साथ-साथ अविवाहित, विधवा, बगैर शादी के साथ रहने वाली महिला, दूसरी पत्नी के तौर पर रहने वाली महिला व 18 वर्ष से कम के लड़की व लड़का सभी को संरक्षण देने का प्रयास किया गया है। इस कानून में घर में रहने का अधिकार, संरक्षण, बच्चों की कस्टडी व भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार महिलाओं को मिलता है, जो किसी और कानून में संभव नहीं है।

आईपीसी की धारा 125 के तहत विवाहित महिलाओं को भरण-पोषण का अधिकार मिलता है, लेकिन बगैर विवाह के या दूसरी पत्नी के तौर पर रहने वाली महिला कआज वह समय है, जब एक तरफ महिलाएं आसमान छू रही हैं, हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधा मिलाकर चल रही हैं तो कहीं बहुत आगे भी निकल गई हैं, परंतु यह भी सच है कि महिलाओं व लड़कियों के साथ होने वाली हिंसा भी सीमा से आगे बढ़ चुकी है।

हर व्यक्ति जन्म से ही कुछ अधिकार लेकर आता है चाहे वह जीने का अधिकार हो या विकास के लिए अवसर प्राप्त करने का, परंतु इस पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर किए जा रहे भेदभाव की वजह से महिलाएं इन अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। इसी विचार के चलते महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने हेतु हमारे संविधान में अलग से कानून बनाए गए हैं या समय-समय पर इनमें संशोधन किया गया है।


webdunia
ND



- अपराध - - भा,द,स, की धारा - - सजा -

अपहरण, भगाना या औरत को शादी के लिए मजबूर करना- -धारा 366 -10 वर्ष

पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना- -धारा 494 -7 वर्ष

पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता- -धारा 498 ए -3 वर्ष

बेइज्जती करना, झूठे आरोप लगाना- -धारा 499 -2 वर्ष

दहेज- -धारा 304 क -आजीवन कारावास

दहेज मृत्यु- -धारा 304 ख -आजीवन कारावास

आत्महत्या के लिए दबाव बनाना- -धारा 306 -10 वर्ष

सार्वजनिक स्थान पर अश्लील कार्य एवं अश्लील गीत गाना -धारा 294 -3 माह कैद या जुर्माना या दोनों-

महिला की शालीनता भंग करने की मंशा से की गई अश्लील हरकत- -धारा 354 -2 वर्ष

महिला के साथ अश्लील हरकत करना या अपशब्द कहना- -धारा 509 -1 वर्ष

बलात्कार- -धारा 376 -10 वर्ष तक की सजा या उम्रकैद-

महिला की सहमति के बगैर गर्भपात कारित करना- -धारा 313 -आजीवन कारावास या 10 वर्ष कैद/ जुर्माना

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi